क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू के राज्यसभा से इस्तीफे के बाद भाजपा की किरकिरी हो गई है। सिद्धू को भाजपा ने अप्रैल में राज्य सभा के लिए भेजा था। दो महीने बाद जब संसद फिर से शुरू हुर्इ तो पहले ही दिन उन्होंने इस्तीफा दे दिया। सिद्धू के इस कदम ने भाजपा को विपक्ष के व्यंग्य का पात्र बना दिया। क्रिकेटर से राजनीति में आए सिद्धू को भाजपा ने नॉमिनेटेड सदस्य के रूप में ऊपरी सदन भेजा था। लेकिन पंजाब में मन बसे होने के कारण सिद्धू को संसद रास नहीं आई। सिद्धू अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर राजनीति में आए थे। वे दो बार अमृतसर से सांसद रहे। पिछले चुनावों में उनकी सीट से अरुण जेटली को उतार दिया गया लेकिन जेटली हार गए।
इसी तरह एक और क्रिकेटर भाजपा की राजनीति में शामिल हुए। ये हैं 1983 के विश्व कप विजेता क्रिकेट टीम के सदस्य कीर्ति आजाद, जो बिहार से आते हैं और दरभंगा से सांसद हैं। उन्होंने पार्टी नेतृत्व और पीएम मोदी के खिलाफ आवाज नहीं उठाई। लेकिन क्रिकेट में भ्रष्टाचार के मामले में उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली पर हमला बोला। डीडीसीए के मुद्दे पर आजाद ने जेटली को घेरा और उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। पिछले साल दिसंबर में उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया।
अब बात करें शाट गन यानी शत्रुघ्न सिंहा की। यह बिहारी बाबू हमेशा भाजपा के लिए विपक्ष से ज्यादा टेढ़ी खीर साबित हो रहे हैं। बिहार चुनावों के दौरान नजरअंदाज करने से नाराज सिन्हा ने सोशल मीडिया के जरिए पार्टी पर जमकर हमले बोले। पीएम मोदी के कट्टर विरोधी नीतीश कुमार और लालू यादव से गले मिलते रहे और तारीफ करते रहे। लेकिन भाजपा ने कोई कार्रवाई नहीं। पार्टी जब बिहार में बुरी तरह से हारी तो महागठबंधन के नेताओं की तारीफ में सिन्हा ने कसीदे पढ़े। अमित शाह और बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेताओं पर खूब तंज कसे। लेकिन सिन्हा पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। सिन्हा ने बरसों तक बॉलीवुड में काम किया। वे भी वाजपेयी के जमाने में ही भाजपा के साथ आए थे। वे पटना साहिब से सांसद हैं।