आरएसएस पर कथित अपमानजनक टिप्पणी के मामले में मुकदमे का सामना कर रहे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आज बतौर आरोपी गुवाहाटी की एक स्थानीय अदालत में पेश हुए। जिसके बाद अदालत ने उन्हें निजी मुचलके पर रिहा कर दिया। राहुल के अधिवक्ता अंशुमान बोरा ने बताया कि कांग्रेस उपाध्यक्ष आज मुख्य न्यायिक मेजिस्ट्रेट कामरूप की अदालत में बतौर आरोपी पेश हुए। उन्होंने बताया कि सांसद होने के बावजूद वे व्यक्तिगत तौर पर पेश हुए इसलिए उन्हें निजी मुचलके (पीआर बॉंड) पर रिहा कर दिया गया। बोरा ने कहा, हमने उनके लिए जमानत का आवेदन दिया था लेकिन राहुल गांधी चूंकि व्यक्तिगत तौर पर पेश हुए थे इसलिए अदालत ने उन्हें पीआर बांड भरने की इजाजत दे दी। मामले में सुनवाई की अगली तारीख पांच नवंबर तय की गई है। अगली सुनवाई के दिन राहुल को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होना होगा। उस दिन अदालत उन्हें उनका दोष बताएगी।
इस मामले में शिकायकर्ता संघ के विभाग संचालक अंजन बोरा के वकील बिजॉन महाजन ने कहा, शिकायकर्ता की सलाह पर हमने जमानत याचिका का विरोध नहीं किया। शिकायतकर्ता ने राहुल के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज करवाया था। शिकायतकर्ता का आरोप है कि राहुल ने संघ के बारे में गलतबयानी की है। उन्होंने आरोप लगाया कि 2015 में राज्य के दौरे पर आए राहुल ने 12 दिसंबर को कहा था कि 16वीं सदी के असम के वैष्णव मठ बारपेटा सतरा में संघ सदस्यों ने उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया। जो कि गलत है और उनके इस आरोप से संघ की छवि को नुकसान पहुंचा है। छह अगस्त के आदेश में सीजेएम संजय हजारिका ने कहा था, दैनिक अखबारों और मीडिया में आई राहुल गांधी के बयान की प्रकृति मानहानि करने वाली है और इसलिए प्रथमदृष्टया शिकायत पर भादंसं की धारा 499 लागू होती है। राहुल गाधी के खिलाफ धारा 500 के तहत मामला आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त वजह है। धारा 500 के तहत मिलने वाला दंड दो साल तक की सजा, साथ में जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।