पिछले 8 दिनों से उपराज्यपाल के दफ्तर में धरने पर बैठे और 6 दिन से अनशन कर रहे दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया है। मनीष सिसोदिया के शरीर में कीटोन का स्तर 7.4 पर पहुंच गया है।
सत्येन्द्र की हालत स्थिर
पिछले एक सप्ताह से धरने पर बैठे मंत्री सत्येंद्र जैन की रविवार आधी रात को अचानक सेहत बिगड़ गई। उन्हें तुरंत एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया। अब उनकी हालत स्थिर बनी हुई है।
उपराज्यपाल कार्यालय में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे जैन को कल रात स्वास्थ्य खराब होने के बाद लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जैन के पेशाब में कल कीटोन का स्तर ज्यादा मिला था। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक जेसी पासी ने बताया, ‘‘अस्पताल में भर्ती कराये जाने के बाद उनकी हालत स्थिर है।’’
मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कल रात पुष्टि की कि उनके कैबिनेट मंत्री अस्पताल मे भर्ती हुए हैं।
उन्होंने ट्वीट किया , ‘‘स्वास्थ्य खराब होने के चलते सत्येन्द्र जैन को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। ’’
केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया , सत्येन्द्र जैन और गोपाल राय पिछले आठ दिन से उपराज्यपाल अनिल बैजल के कार्यालय में धरने पर बैठे हैं। वे उपराज्यपाल से आईएएस अधिकारियों को निर्देश देने की मांग कर रहे हैं कि अधिकारी अपनी ‘‘हड़ताल’’ वापस ले लें और घर-घर राशन पहुंचाने की योजना स्वीकार कर लें।
जैन मंगलवार से भूख हड़ताल पर हैं। इस कारण शनिवार को उनके रक्त में शर्करा का स्तर गिर गया था।
मंत्री ने एक ट्वीट में अपने स्वास्थ्य रिपोर्ट की प्रति साझा की है। उन्होंने ट्वीट किया है , ‘‘ मेरी रिपोर्ट। कीटोन बढ़ रहा है और रक्त में शर्करा का स्तर लगातार नीचे है। चार दिन में 3.7 किलोग्राम वजन कम हुआ है। हम दिल्ली के लोगों के लिए लड़ना जारी रखेंगे। ’’
वहीं आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने एलजी और पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, "सतेन्द्र जैन जी की तबियत खराब होने की वजह से उनको हॉस्पिटल में भर्ती कराया जा रहा है, लेकिन केंद्र में बैठे मोदी जी और उपराज्यपाल को कोई संवेदना नहीं है।"
सतेन्द्र जैन जी की तबियत ख़राब होने की वजह से उनको हॉस्पिटल में भर्ती कराया जा रहा है लेकिन केंद्र की सत्ता में बैठे मोदी जी और LG को कोई संवेदना नही
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) June 17, 2018
सत्येंद्र जैन ने 12 जून को भूख हड़ताल की शुरुआत की थी, जबकि अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और गोपाल राय के साथ वह 11 जून से ही धरने पर बैठे थे।
क्या है मामला?
दिल्ली की केजरीवाल सरकार अब आर-पार के मूड में दिखाई दे रही है। केजरीवाल दिल्ली में नौकरशाहों की कथित ‘‘हड़ताल’’ खत्म करवाने के लिए अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ पिछले सात दिनों से उपराज्यपाल के कार्यालय में धरना पर बैठे हैं। केजरीवाल पिछले चार महीने से सरकार के कामकाज का बहिष्कार करनेवाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। साथ ही दिल्ली सरकार की डोर टू डोर राशन योजना को मंजूरी देने की बात कह रहे हैं। उपराज्यपाल ने मांगों को मानने से मना कर दिया है जबकि केजरीवाल का कहना है कि मांगें पूरी होने तक वह डटे रहेंगे। उनका कहना है कि अफसरों की हड़ताल के कारण दिल्ली के लोगों के कामों पर असर पड़ रहा है। उपराज्यपाल ने जहां अफसरों में अविश्वास और डर का माहौल होने की बात कही है तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे उपराज्यपाल द्वारा प्रायोजित हड़ताल करार दिया है।
ये हैं तीन मांगें
#उपराज्यपाल स्वयं आईएएस अधिकारियों की गैरकानूनी हड़ताल फौरन खत्म कराएं, क्योंकि वो सेवा विभाग के प्रमुख हैं।
#काम रोकने वाले आईएएस अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करें।
#राशन की डोर-स्टेप-डिलीवरी की योजना को मंजूर करें।
क्या कह रहे हैं उपराज्यपाल?
इधर, उपराज्यपाल निवास की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में किसी भी तरह के हड़ताल का खंडन किया गया है। राज्यपाल दफ्तर की ओर से कहा गया है कि अफसरों में डर और अविश्वास का माहौल है, जिसे सीएम ही दूर कर सकते हैं। जहां तक डोर स्टेप राशन डिलीवरी की फाइल की बात है तो वह खाद्य मंत्री इमरान हुसैन के पास ही है। उसके लिए केंद्र की मंजूरी जरूरी है जिसके लिए दिल्ली सरकार को ही कदम उठाने हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी बाकायदा दिल्ली सरकार की बैठकों में भाग ले रहे हैं और विरोध के बावजूद अपना काम कुशल तरीके से कर रहे हैं। सरकार की ओर से अफसरों के साथ सकारात्मक बातचीत की कोशिश तक नहीं हुई। आज भी तीन आईएएस अफसरों को विधानसभा से राहत के लिए कोर्ट जाना पड़ा।
क्या है कथित हड़ताल की वजह?
मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर कथित मारपीट के बाद आईएएस पिछले करीब चार माह से कथित तौर पर हड़ताल पर हैं।