एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कश्मीर मुद्दे पर बुलाए गए कश्मीरी नेताओं की सर्वदलीय बैठक में कहा कि वो दिल्ली और दिल की दूरी को खत्म करना चाहते हैं। वहीं, दूसरी तरफ एक बार फिर से विपक्षी दलों ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और अनुच्छेद 370 को बहाल करने की मांग पर जोर दिया है।
बैठक खत्म होने के बाद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि अधिकांश विपक्षी दलों ने पीएम मोदी के सामने इन मांगों को रखा है। आजाद ने कहा है, "लगभग 80% पार्टियों ने धारा 370 पर बात की लेकिन मामला अदालत में विचाराधीन है। हमारी मांगों में शीघ्र पूर्ण राज्य का दर्जा, लोकतंत्र बहाल करने के लिए चुनाव, कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास, सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाना और भूमि, रोजगार की गारंटी की मांगे रही है।"
वहीं, सर्वदलीय बैठक को पीएम मोदी ने सकारात्मक और लोकतंत्र की मजबूती बताया है। बातचीत को सभी दलों ने सकारात्मक कहा है। पीएम मोदी ने कश्मीर पर बुलाई गई बैठक के बाद कहा है, “हमारे लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत एक मेज पर बैठने और विचारों का आदान-प्रदान करने की क्षमता है। मैंने जम्मू-कश्मीर के नेताओं से कहा कि लोगों, खासकर युवाओं को जम्मू-कश्मीर को राजनीतिक नेतृत्व देना है और यह सुनिश्चित करना है कि उनकी आकांक्षाएं पूरी हों।” आगे पीएम मोदी ने कहा है, “हमारी प्राथमिकता जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना है। परिसीमन तेज गति से होना चाहिए ताकि चुनाव हो सकें और जम्मू-कश्मीर को एक चुनी हुई सरकार मिले जो जम्मू-कश्मीर के विकास पथ को ताकत दे।”
पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने सर्वदलीय बैठक के बाद कहा है, "मैंने बैठक में प्रधानमंत्री की प्रशंसा की और कहा कि आपने पाकिस्तान से बात कर सीज़फायर करवाया। घुसपैठ कम हुई ये अच्छी बात है। जम्मू-कश्मीर के लोगों को पाकिस्तान से बात करने पर सुकून मिलता है तो आपको पाकिस्तान से बात करनी चाहिए।"
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी इस बैठक में शामिल हुए। पीएम मोदी के साथ कश्मीर मामले पर सर्वदलीय बैठक में शामिल होने के बाद उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री और गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक में कहा कि हम चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा जल्द से जल्द मिले और वहां पर चुनाव भी जल्द से जल्द करवाए जाएं।"