कांग्रेस ने नोटबंदी को आर्थिक अराजकता, संगठित लूट और भाजपाई घोटाला बताया है। पार्टी ने कहा है कि प्रधानमंत्री के इस फैसले से देश के 130 करोड़ भारतीय अपराधी बन गए और रोजगार खत्म हो गए। देश में एक तरह से तालाबंदी की स्थिति पैदा हो गई। सरकार के फैसले की सजा अब पूरा देश भुगत रहा है। सवाल यह है कि आखिर एक साल बाद क्या हासिल हुआ।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला, राष्ट्रीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव, कांग्रेस सेवादल के मुख्य आयोजक मनोहर जोशी, भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा, मीडिया पैनेलिस्ट जयवीर शेरगिल ने एक प्रेस कांफ्रेस में कहा कि आज नोटबंदी की पहली बरसी है और साथ ही उन 150 निर्दोष भारतीयों की, जो बैंकों की लाइन में खड़े मौत का शिकार हो गए।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि दिल्ली की सल्तनत का ‘नोटबंदी का फरमान’ पहला और नया नहीं है। 14 वीं सदी के शासक, मुहम्मद-बिन-तुगलक ने नोटबंदी का फरमान जारी कर मूल मुद्रा की जगह ‘टंक-ए-सियाह’ यानी काले सिक्के चला बर्बादी फैलाई थी। तुगलक अपने मनमाने निर्णयों के लिए कुख्यात था। ‘ऐसा ही तुगलकी आदेशपिछले साल आठ नवंबर को आज के ‘तानाशाह बादशाह ने जारी कर देश को फिर बर्बाद किया। एक वर्ष बीत गया। पर ‘सूट-बूट वाले बादशाह’ द्वारा लगाई आग को जनता आज भी अपने आंसुओं से बुझा रही है। ‘न खाउंगा, न खाने दूंगा कहने वाले नोटबंदी के नाम पर इस देश की अर्थव्यवस्था तथा लोगों के रोज़गार को खा गए और अब जश्न मना रहे हैं।
सुरजेवाला ने कहा कि नोटबंदी की पहली बरसी पर लुटेरे ‘लूट का उत्सव मना रहे हैं और आम देशवासी रोजगार और रोटी खो जाने का अफसोस। 70 साल के इतिहास में किसी शासक ने पहली बार देश के 130 करोड़ लोगों अपराधी घोषित कर दिया। उन्होंने कहा, एक साल बाद यह पूछा जाना चाहिए कि हासिल क्या हुआ?
नोटबंदी को भाजपा का घोटाला बताते हुए सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि नोटबंदी से ठीक पहले सितंबर 2016 में बैंकों में अचानक 5,88,600 लाख करोड़ रुपये जमा हुए। इसमें से तीन लाख करोड़ के फिक्स्ड डिपॉज़िट तो मात्र एक सितंबर से 15 सितंबर 2016 के बीच जमा हुए। ये किसका पैसा था, कहां से आया, कहां गया, किसी को मालूम नहीं। नोटबंदी के फैसले के दिन, यानि 8 नवंबर को कोलकाता बैंक में भाजपा के खाते सं. 554510034 में 500 और एक हजार रुपये के नोटों में एक करोड़ रुपये जमा किए गए। सात और आठ नवंबर को जमा की गई कुल रकम की राशि तीन करोड़ रुपये है। क्या इससे यह साबित नहीं हो जाता कि भाजपा को नोटबंदी के फैसले के बारे में पहले से ही मालूम था?