महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच गतिरोध बना हुआ है। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के14 दिन बाद भी सरकार नहीं बन पाई है। इस बीच कांग्रेस ने सरकार बनाने के लिए भाजपा-शिवसेना गठबंधन के "नैतिक अधिकार" पर सवाल उठाया है। कांग्रेस ने कहा है कि अगर शिवसेना को अपने विधायकों की होर्स ट्रेडिंग का डर सता रहा है तो क्या महायुति (महागठबंधन) को सरकार बनानी चाहिए। वहीं, प्रमुख विपक्षी पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने दावा किया कि शिवसेना के विधायकों को तोड़ने के लिए संपर्क साधा जा रहा है।
महाराष्ट्र कांग्रेस महासचिव सचिन सावंत ने कहा, "शिवसेना भाजपा की सहयोगी और महायुति का हिस्सा है। अगर उसे डर है कि भाजपा उसके विधायकों को तोड़ेगी तो समझा जा सकता है कि भाजपा नैतिक रूप से कितनी भ्रष्ट है और हमें उनसे महाराष्ट्र को क्यों बचाना चाहिए।" सावंत ने ट्वीट किया, "क्या महायुति को अब सरकार बनाने का नैतिक अधिकार है?" उन्होंने राजनीतिक अनिश्चितता के बीच बांद्रा के रंगशारदा होटल में अपने विधायकों को शिफ्ट करने के शिवसेना के फैसले का हवाला दिया।
फडणवीस के संपर्क में थे विधायक
भाजपा और शिवसेना स्पष्ट बहुमत मिलने के बावजूद मुख्यमंत्री पद को लेकर अड़े हैं। भाजपा के करीबी कुछ निर्दलीय नेताओं ने दावा किया था कि शिवसेना के विधायकों का एक वर्ग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के संपर्क में था। भाजपा पर कटाक्ष करते हुए, कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय झा ने कहा कि मुंबई के पास पर्यटन स्थलों में रिसॉर्ट्स जैसे खंडाला और माथेरान जल्द ही बुक हो सकते हैं।
'दिया जा रहा है विधायकों को लालच'
महाराष्ट्र एनसीपी प्रमुख जयंत पाटिल ने किसी भी पार्टी का नाम लिए बगैर दावा किया कि कुछ विधायकों को तोड़ने के लिए लालच दिया जा रहा है लेकिन किसी भी नुकसान की स्थिति में उपचुनाव में अन्य दल एकजुट होकर भाजपा को हराएंगे। उन्होंने कहा कि एनसीपी के विधायकों को निशाना नहीं बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा, "जो लोग पक्ष बदलना चाहते थे, वे चुनाव से पहले ही चले गए। जो एनसीपी के टिकट पर चुने गए हैं, लोगों का उनमें विश्वास है और हम विपक्ष में बैठने के लिए तैयार हैं।" पाटिल ने यह भी कहा कि शिवसेना ने सरकार बनाने के लिए एनसीपी से समर्थन नहीं मांगा था, न ही शिवसेना का समर्थन करने पर एनसीपी के भीतर कोई चर्चा हुई है।