साथ ही पहले के आदेश के तहत रिकॉर्ड पेश नहीं करने पर दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के केंद्रीय जनसूचना अधिकारी (सीपीआइओ) को नया कारण बताओ किया है।
स्मृति की डिग्री को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उन्होंने 2014 में चुनाव लड़ने के दौरान हलफनामे में विरोधाभासी जानकारियां दी थीं। कोर्ट में यह मामला खारिज हो गया था। हालांकि, सीआइसी में यह जीवित रहा। आरटीआइ आवेदन में यह कहा गया कि एसओएल ने स्मृति की शैक्षिक योग्यता देने से इन्कार कर दिया। सीआइसी में सुनवाई के दौरान एसओएल के सीपीआइओ ओपी तंवर ने कहा कि थर्ड पार्टी सूचना होने के कारण उन्होंने इस बारे में स्मृति से संपर्क किया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने आपत्ति जताई और शैक्षिक योग्यता की जानकारी नहीं देने को कहा। सीपीआइओ ने कहा कि पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री ने जिम्मेदार व्यक्ति की हैसियत से यह कहा था। इसलिए आरटीआइ कानून की धारा 8 (1)(ई) के तहत जानकारी नहीं दी जा सकती थी।
सूचना आयुक्त श्रीधर आचर्युलु ने कहा कि सवाल यह है कि क्या आवेदक वह सूचना मांग रहा है जो छात्र (स्मृति ईरानी) ने एसओएल को दी थी या फिर एसओएल की ओर से स्मृति को दी गई डिग्री की जानकारी चाह रहा है। इसका हल ढूंढने के लिए रिकॉर्डस की जांच जरूरी है। गौरतलब है कि सीआइसी ने सोमवार को सीबीएसई को स्मृति ईरानी के 10वीं और 12वीं कक्षा के स्कूली दस्तावेजों को जांचने की मंजूरी दी थी। इस बीच स्मृति ईरानी ने 10वीं और 12वीं के रिकॉर्ड की जांच की अनुमति पर कहा कि लोग उनकी नर्सरी के दस्तावेज मांगने के लिए भी स्वतंत्र हैं। उन्होंने कहा, ‘आप नर्सरी का भी मांग लो।’