हाल में स्विस नैशनल बैंक की एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें कहा गया था कि स्विस बैंकों में भारतीयों का धन 2016 के मुकाबले 2017 में 50 फीसदी बढ़ गया है। इस रिपोर्ट से विपक्ष को मोदी सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया था। इस पर वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने स्विस बैंक हवाले से सफाई देते हुए कहा है कि भारतीयों के लोन और डिपॉजिट में पिछले साल की तुलना में 34.5 फीसदी कमी आई है। एनडीए के चार साल के शासन में पिछले साल के अंत तक स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा 80 फीसदी घटा है।
राज्यसभा में वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने स्विस बैंकों के आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि स्विस बैंको में जमा होने वाला भारतीयों का पैसा दुनिया के अलग-अलग हिस्से से जमा होता है। इसमें पूरा धन काला नहीं होता। इस बारे में स्विस बैंक में जमा भारतीय राशियों को लेकर लिखित जवाब आया है। उन्होंने कहा कि स्विस अथॉरिटी से 2014 के बाद से काले धन की चार हजार जानकारी मांगी गई है। इन आंकड़ों पर देश भर में कार्रवाई की जा रही है। स्विस सरकार से हुई संधि के बाद पहली जनवरी 2018 के बाद हुए ट्रांजैक्शन की ऑटोमेटिक जानकारी भारत सरकार को मिल जाएगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि स्विस बैंक बीआईएस के मुताबिक, नॉन-बैंक लोन और डिपोजिट्स में कमी आई है। पूर्व में इस लेन देन को ही कालेधन के तौर पर आंका जाता रहा है। इसमें इंटर बैंकिंग ट्रांजैक्शन शामिल नहीं है। 2016 में नॉन-बैंक लोन का आंकड़ा जहां 80 करोड़ डॉलर था, वह 2017 में घटकर यह 52.4 करोड़ डॉलर पर आ गया है। बीआईएस का कहना है कि इस डेटा को आम तौर पर गलत तरीके से पेश किया जाता है क्योंकि इसमें कई और लेन-देन भी शामिल होते हैं। बैंक में जमा राशि में नॉन-डिपोजिट लायब्लिटीज, भारत में स्थित स्विस बैंकों की शाखाओं का कारोबार भी शामिल होता है। इसमें बैंकों के स्तर पर हुआ लेन-देन भी होता है। स्विस बैंकों में अपना पैसा जमा करने वाले लोगों का डेटा बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) की तरफ से इकट्ठा किया जाता है।