देश के गृह सचिव रहे आरके सिंह को गृह मंत्रालय के बजाय ऊर्जा मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया है। विदेश मामलों के जाने-माने विशेषज्ञ और भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रहे हरदीप सिंह पुरी को विदेश मंत्रालय में अहम जिम्मेदारी मिलने की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन उन्हें शहरी विकास और आवास मंत्रालय के राज्य मंत्री के तौर पर स्वतंत्र प्रभार दिया गया है।
इसी तरह डीडीए के कमिश्नर रहे बुलडोजर मैन अल्फोंस कन्न को शहरी विकास मंत्री बनाए जाने की उम्मीद थी लेकिन उन्हें पर्यटन और सूचना तकनीक मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया है। अल्फोंस को केरल के कोट्टायम जिले को देश का प्रथम पूर्ण साक्षर जिला बनाने का श्रेय भी दिया जाता है। ऐसे में उन्हें मानव संसाधन या कौशल विकास मंत्री बनाया जा सकता था।
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर रहे बागपत से सांसद सत्यपाल सिंह को भी गृह मंत्रालय के बजाय मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाया गया है। इस तरह मोदी मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री बने चार चार पूर्व नौकरशाहों में से तीन को अहम मंत्रालयों का स्वतंत्र प्रभार दिया गया है। लेकिन इनमें से किसी को भी इनकी विशेषज्ञता से जुड़े क्षेत्र से संबंधित मंत्रालय नहीं मिला है।
विशिष्ट अनुभव रखने वाले लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल कर उनके क्षेत्र से इतर मंत्रालयों की जिम्मेदारियां देने का फार्मूला मोदी सरकार पहले भी आजमाया जा चुकी है। उदाहरण के तौर, पर्यावरण के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले सुरेश प्रभु को रेल तो ओलंपिक पदक जीत चुके राज्यवर्धन राठौड़ को सूचना प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी। सेना प्रमुख रहे वीके सिंह को भी रक्षा के बजाय विदेश और उत्तर-पूर्व के मामलों का जिम्मा दिया गया था। हालांकि, हालिया फेरबदल में राज्यवर्धन राठौड़ को खेल और युवा मामलों का स्वतंत्र प्रभार दिया गया है।
मोदी सरकार में कई पूर्व नौकरशाहों को शामिल किए जाने की आलोचना करते हुए कांग्रेस ने कहा है कि पहले ही सरकार पूरी तरह नौकरशाहों और पीएमओ के भरोसे चल रही थी। अब पूर्व नौकरशाहों को मंत्री भी बना दिया है।