केंद्र सरकार द्वारा गठित 'वन नेशन वन इलेक्शन' समिति की पहली आधिकारिक बैठक बुधवार को पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में होने की संभावना है। गौरतलब है कि एक राष्ट्र एक चुनाव हेतु कमेटी गठित होने के बाद से विपक्ष हमलावर है।
न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बैठक के होने की संभावना जताई है। बता दें कि केंद्रीय कानून मंत्रालय ने शनिवार को पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति में आठ सदस्यों को नामित किया, जो लोकसभा, विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के एक साथ चुनाव के मुद्दे की जांच करेगी।
समिति में अध्यक्ष के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष सी कश्यप, और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी का नाम दिया गया था।
हालांकि, बाद में लोकसभा अधीर रंजन चौधरी ने पैनल में काम करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इसके "संदर्भ की शर्तें इसके निष्कर्षों की गारंटी देने के लिए तैयार की गई हैं"। इससे इतर, सरकारी सूत्रों ने कहा था कि उन्होंने नामों की अधिसूचना आने से पहले ही समिति का हिस्सा बनने के लिए अपनी सहमति दे दी थी पर बाद में इनकार कर दिया।
समिति का गठन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले और अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले किया गया है। लाजमी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार एक राष्ट्र, एक चुनाव का विचार रख चुके हैं।
नवंबर 2020 में पीठासीन अधिकारियों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, "एक राष्ट्र, एक चुनाव न केवल बहस का विषय है बल्कि भारत के लिए एक आवश्यकता है। भारत में हर महीने एक चुनाव होता है, जिससे विकास बाधित होता है। देश इतना सारा धन बर्बाद क्यों करे?
यदि 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' लागू होता है तो इसका मतलब यह हो सकता है कि पूरे भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होंगे।