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जब केंद्रीय मंत्री विजय गोयल को अपने ही शब्द खाने पड़े

सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के नेता आखिर करें तो क्या करें। पिछड़े क्षेत्रों का उदाहरण देने के लिए...
जब केंद्रीय मंत्री विजय गोयल को अपने ही शब्द खाने पड़े

सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के नेता आखिर करें तो क्या करें। पिछड़े क्षेत्रों का उदाहरण देने के लिए उनके पास उत्तर प्रदेश और बिहार सबसे आसान राज्य थे पर अब वहां भी उन्हीं की पार्टी का राज है।

पिछड़े की तुलना में केंद्रीय मंत्री विजय गोयल आज फंस गए। उन्हें अपने ही शब्द खाना पड़े। हुआ यूं कि दिल्ली के सदर बाजार इलाके की जनता के लिए बदहाल व्यवस्था पर गोयल ने तंज कसते हुए कहा कि यहां के हालत ऐसे ही हैं जैसे उत्तर प्रदेश के किसी पिछड़े जिले की होती है।

गोयल बोलते वक्त भूल गए कि उत्तर प्रदेश में भी उसी पार्टी का राज है जिसमें वह केंद्रीय मंत्री हैं। उनके लिए जैसे यही काफी नहीं था कि वह दिल्ली के व्यापारियों और दुकानदार के समूह के बीच भाषण देने लगे जो भाजपा नीत नगर निगम द्वारा सीलिंग का विरोध कर रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली का हाल देखा आपने? तारें (वायर और केबल्स) झूल रही हैं, कोई मकान ऊपर जा रहा है, कोई नीचे जा रहा है, ऐसा लगता है उत्तर प्रदेश के किसी पिछड़े हुए कस्बे में खड़े हुए हैं। ये सदर दिल्ली की शान था।’’ सदर बाजार इलाका गोयल का 1996 से 1998 तक संसदीय क्षेत्र भी रहा है। बाद में गोयल ने कहा कि नेता अपने राजनैतिक प्रभाव के लिए सीलिंग को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘सीलींग के लिए भाजपा ‘आप’ को ‘आप’ भाजपा को और कांग्रेस दोनों पार्टियों पर इल्जाम लगा रही है। लेकिन नेताओं ने सीलिंग को राजनीति का विषय बना दिया है। सीलिंग की वजह से दिल्ली के सैकड़ों दुकानदार, व्यापारी परेशान हो गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि रहवासी क्षेत्रों के व्यापारिक उपयोग पर ही कारवाई की जा रही है। 

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