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पीडीपी के पूर्व नेता अल्ताफ बुखारी ने बनाई 'अपनी पार्टी', महबूबा सरकार में रहे हैं मंत्री

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में बदलाव के बाद जहां सियासी गतिविधियां करीब-करीब बंद हो गई...
पीडीपी के पूर्व नेता अल्ताफ बुखारी ने बनाई 'अपनी पार्टी', महबूबा सरकार में रहे हैं मंत्री

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में बदलाव के बाद जहां सियासी गतिविधियां करीब-करीब बंद हो गई थीं, मगर अब कुछ सियासी हलचल होती दिखाई दे रही है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी छोड़कर सैयद अल्ताफ बुखारी ने 'अपनी पार्टी' का गठन किया है।

‘अपनी पार्टी’ के गठन का ऐलान करने के बाद बुखारी ने कहा, 'यह एक बहुत ही खुशी का मौका है कि हमने आखिरकार अपनी पार्टी बना ली है और इसे 'अपनी पार्टी' के रूप में जाना जाएगा।' उन्होंने कहा, 'हम पर बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं क्योंकि यहां उम्मीदें और चुनौतियां बहुत ज्यादा हैं। मैं जम्मू और कश्मीर के लोगों को विश्वास दिलाता हूं कि मेरी इच्छाशक्ति मजबूत है।'

आपको बता दें कि अल्ताफ बुखारी महबूबा मुफ्ती सरकार में कृषि मंत्री भी रहे हैं। बुखारी का कहना है कि यह सूबे के आम लोगों की पार्टी है, इसलिए इसका नाम अपनी पार्टी रखा गया है।

कई नेता हुए शामिल

पूर्व मंत्री और डेमोक्रेटिक पार्टी (राष्ट्रवादी) के अध्यक्ष गुलाम हसन मीर, पीडीपी के पूर्व विधायक दिलावर मीर, नूर मोहम्मद शेख, अशरफ मीर और पूर्व कांग्रेस विधायक फारूक अंद्राबी, इरफान नकीब सहित अन्य कई नेता भी रविवार को 'अपनी पार्टी' में शामिल हो गए। सैयद अल्ताफ बुखारी ने सभी नेताओं का स्वागत किया और विश्वास दिलाया कि उनकी पार्टी आम लोगों के लिए काम करेगी।

5 अगस्त के बाद पहली राजनीतिक गतिविधि

पांच अगस्त के बाद जम्मू कश्मीर में यह पहली राजनीतिक गतिविधि है। उस दिन केंद्र सरकार ने पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने की घोषणा की थी।

महबूबा और बुखारी में थे मतभेद

बता दें कि महबूबा मुफ्ती से दूरी बनने तक बुखारी पीडीपी में थे। जून 2018 में भाजपा के समर्थन वापस लेने के बाद महबूबा की सरकार अल्पमत में आ गई थी। पीडीपी के कामकाज को लेकर महबूबा और बुखारी में मतभेद थे। नई पार्टी का ऐलान ऐसे समय में किया गया है, जब पारंपरिक कश्मीर आधारित राजनीतिक दलों का शीर्ष नेतृत्व फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में हैं।

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