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मेरे शरीर का हर कतरा भाजपा के 'भारत के विचार' का प्रतिरोध करेगा: राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते हुए विस्तृत पत्र भी लिखा है। इसमें उन्होंने कहा...
मेरे शरीर का हर कतरा भाजपा के 'भारत के विचार' का प्रतिरोध करेगा: राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते हुए विस्तृत पत्र भी लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि देश की संस्थाओं पर कब्जा करने का आरएसएस का उद्देश्य पूरा हो गया है। हाल के चुनाव में उन्होंने सिर्फ सत्ताधारी दल से मुकाबला नहीं किया, बल्कि देश की तमाम संस्थाओं से भी मुकाबला करना पड़ा क्योंकि भाजपा और आरएसएस ने उन पर कब्जा कर लिया है। आज देश की विविधता की आवाज और आत्मा को बचाने की घड़ी आ गई है। कांग्रेस को उसके लिए आगे आना होगा। इस वजह से कांग्रेस में बड़े बदलाव की आवश्यकता है। इस्तीफा देने की भी मुख्य वजह भी यही है।

पार्टी के विकास के लिए जिम्मेदारी लेना अहम

राहुल गांधी ने अपने पत्र में कहा कि हाल के आम चुनाव में हार के लिए वह जिम्मेदारी लेते हैं। जिम्मेदारी लेना पार्टी के विकास के लिए बहुत अहम है। इसी वजह से उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है। पार्टी को दोबारा खड़ा करने के लिए कड़े फैसले लेने होंगे और विफलता के लिए तमाम लोगों को जिम्मेदारी लेनी होगी। यह गलत होता अगर वह पार्टी अध्यक्ष होने के नाते जिम्मेदारी नहीं लेते।

अध्यक्ष पद पर नामित करना गलत होता

उन्होंने कहा कि उनके कई वरिष्ठ सहियोगियो ने अगला अध्यक्ष नामित करने का सुझाव दिया। लेकिन किसी व्यक्ति को इस तरह चुनना गलत होता। हमारी पार्टी ऐतिहासिक पार्टी है। संघर्ष और मर्यादा हमारी पार्टी की विरासत है। पार्टी सबसे अच्छा फैसला करने में सक्षम है कि भविष्य में नेतृत्व कौन करेगा। नए कांग्रेस अध्यक्ष की तलाश के कमेटी बनाने की प्रक्रिया को उनका पूरा समर्थन।

भाजपा के विचारों के खिलाफ राहुल का संघर्ष

उन्होंने कहा कि राजनीतिक ताकत के लिए उनकी लड़ाई कभी आसान नहीं रही। उनके मन में भाजपा के प्रति कोई घृणा या रोष नहीं है लेकिन उनका रोम-रोम देश के लिए उनके विचारों का सहज विरोध करता है। यह विरोध इस वजह है कि मेरे मन में भारतीय विचार बसा है। इसी वजह से मेरा उनके विचारों से विरोध है। यह कोई नया संघर्ष नहीं है, बल्कि हमारी धरती पर हजारों सालों से चल रहा है। जहां उन्हें मतभेद दिखाई देता है, वहां मुझे समानता दिखाई देती है। जहां वह घृणा देखते हैं, वहां मुझे प्रेम दिखाई देता है। जहां उन्हें भय लगता है, वहां हम गले लगाते हैं। प्रेम और अनुराग हमारे देश के असंख्य लोगों के मन में बसा है। आपसी मेल मिला के इस विचार को बचाने के लिए हम लगातार प्रयास करते हैं। हमारे देश, हमारे संविधान पर जो हमले हो रहे हैं, उनसे हमारा देश बर्बाद हो रहा है। वह इस लड़ाई से कतई पीछे नहीं हट रहे हैं। वह कांग्रेस पार्टी के वफादार सिपाही हैं और देश के समर्पित पुत्र हैं। वह अपने देश की सेवा करने और उसे बचाने के लिए काम करते रहेंगे।  

देश का आदर्श बचाने के लिए संघर्ष किया

राहुल गांधी ने भाजपा और आरएसएस पर सीधा हमला करते हुए कहा कि हमने चुनाव पूरी मजबूती और मर्यादा के साथ लड़ी। हमारा प्रचार भाईचारे, सहिष्णुता और भारत के सभी लोगों, क्षेत्रों और समुदायों के प्रति सम्मान के साथ था। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से लड़ाई लड़ी। हमारी सभी संस्थाओ पर कब्जा कर लिया गया है। उन्होंने संघर्ष किया क्योंकि वह देश को प्रेम करते हैं। हमने देश के आदर्श को बचाने के लिए संघर्ष किया। राहुल ने अपने बयान में कहा कि वह अकेले ही इस संघर्ष में डटे रहे। इसके लिए उन्हें गर्व है। इस संघर्ष में उन्हें कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का पूरा सहयोग मिला।

अब देश में नहीं बची है संस्थागत निष्पक्षता

राहुल के अनुसार स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए देश की संस्थाओं का निष्पक्ष होना आवश्यक है। कोई चुनाव न्यायकर्ता, स्वतंत्र मीडिया, न्यायपालिका, चुनाव आयोग की पारदर्शिता के बिना नहीं हो सकता है। अगर किसी पार्टी विशेष का वित्तीय संसाधनों पर एकाधिकार हो तो भी निष्पक्ष चुनाव कराना संभव नही है। इस बार उन्होंने किसी राजनीतिक पार्टी से ही चुनाव नहीं लड़ा, बल्कि देश की समूची मशीनरी और विपक्ष के विपक्ष खड़ी प्रत्येक संस्था से भी लड़ाई लड़ी। यह स्पष्ट हो चुका है कि अब देश में संस्थागत निष्पक्षता नहीं बची है।

संस्थाओं पर कब्जे का आरएसएस का लक्ष्य पूरा

गांधी ने आरएसएस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि देश के संस्थागत ढांटे पर कब्जा करने का आरएसएस का उद्देश्य पूरा हो गया है। हमारा लोकतंत्र कमजोर पड़ गया है। यह असली खतरा है कि अब भविष्य में देश के चुनाव मात्र रस्म बनकर रह जाएंगे। पहले से ही तय चुनाव होंगे।

अकल्पनीय हिंसा और दर्द झेलना होगा देश को

उन्होंने कहा कि सत्ता पर यह कब्जा देश में अकल्पनीय हिंसा और दर्द का कारण बनेगा। किसान, बेरोजगार युवा, महिला, आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यकों को सबसे ज्यादा कष्ट भोगने पड़ेंगे। हमारी अर्थव्यवस्था और देश की प्रतिष्ठा पर इसका असर विध्वंसक होगा। प्रधानमंत्री की जीत से उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप खत्म नहीं हो जाते हैं। पैसे की चमक और प्रचार सच्चाई को छिपा नहीं पाएगा। हमारी संस्थाओं को दोबारा मजबूत और स्वतंत्र बनाने के लिए देश को उठ खड़े होने की आवश्यकता है।  होगा। इस काम के लिए कांग्रेस आगे आएगी। इस अहम जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए कांग्रेस को पूरी तरह बदलना होगा। आज भाजपा सुनियोजित तरीके से देश के लोगों की आवाज दबा रही है। यह कांग्रेस का कर्तव्य है कि लोगों की आवाज की रक्षा करे। भारत की कभी एक आवाज नहीं हो सकती है बल्कि कई आवाजों का संगीत रहेगा। भारतमाता की यही सच्ची आत्मा है।

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