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सोनिया गांधी से मिले पार्टी आलाकमान से नाराज गुलाम नबी आजाद, कही ये बड़ी बात

यूपी, पंजाब, मणिपुर, गोवा और उत्तराखंड में हाल ही में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं। इस चुनाव में...
सोनिया गांधी से मिले पार्टी आलाकमान से नाराज गुलाम नबी आजाद, कही ये बड़ी बात

यूपी, पंजाब, मणिपुर, गोवा और उत्तराखंड में हाल ही में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं। इस चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। इस हार के बाद कांग्रेस की फुट एक बार फिर सतह पर सामने आ गई। जी-23 ग्रुप में शामिल कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद जैसे नेताओं ने हार के बाद बयानबाजी की और बागी जी-23 ग्रुप ने मीटिंग शुरू कर दी। एक समय के लिए ऐसा लगा कि कहीं कांग्रेस में फिर से टूट न पड़ जाए। लेकिन सोनिया गांधी के इस मामले में कूदने के बाद फिलहाल सबकुछ थमता नजर आ रहा है।

बता दें कि कल जी-23 के नेता गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी से 10 जनपथ पर मुलाकात की। इस मुलाकात में आने वाले चुनाव में कैसे तैयारी की जाए और पार्टी को फिर से कैसे मजबूत किया जाए, इस बात पर चर्चा हुई। इस बैठक के बाद आजाद के तेवर कुछ ढीले नजर आए। उन्होंने कहा सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी। यह पूछे जाने पर कि उन्होंने सोनिया गांधी को क्या सुझाव दिए उन्होंने कहा कि पार्टी में कुछ मांगें होती हैं, वो सार्वजनिक रूप से नहीं होती हैं और ना ही हम कर सकते हैं।

जाहिर है पांच राज्यों के चुनाव में करारी हार का सामना करने के बाद कांग्रेस के जी-23 ग्रुप की डिनर मीटिंग हुई थी। इसके बाद पार्टी में नेतृत्व को लेकर विद्रोह की आशंकाएं लगनी शुरू हो गई थीं। वहीं, कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में सोनिया और राहुल-प्रियंका ने अपने इस्तीफे की पेशकश की थी, जिसे बैठक में मौजूद नेताओं ने ठुकरा दिया था। दूसरी तरफ, सोनिया गांधी से मिलने के बाद आजाद ने कहा है कि "लीडरशिप के ऊपर कोई प्रश्न नहीं उठा रहा है। जब मीटिंग में सोनिया गांधी जी ने अपना इस्तीफा पेश की थी, उस वक्त सभी नेताओं ने कहा कि बतौर अंतरिम अध्यक्ष आप कार्य जारी रखिये। क्योंकि अभी पार्टी अध्यक्ष का कोई पद खाली नहीं है।"

आपको बता दें कि इससे पहले 17 मार्च को भी जी-23 नेताओं ने मीटिंग की थी और यह मीटिंग गुलाम नबी आजाद के आवास पर ही हुई थी। इस बैठक में सहमति बनी कि पार्टी के लिए एकमात्र रास्ता सामूहिक और समावेशी नेतृत्व और सभी स्तरों पर निर्णय लेने के मॉडल को अपनाना है। कांग्रेस के जी-23 नेताओं के संयुक्त बयान में कहा था कि हमारा मानना है कि कांग्रेस के लिए सभी स्तरों पर सामूहिक और समावेशी नेतृत्व और निर्णय लेने के मॉडल को अपनाना ही एकमात्र रास्ता है। 

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