नवजोत सिंह सिद्धू पर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे बीस साल पुराने रोड रेज मामले में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि उनकी सरकार के पास और कोई कानूनी रास्ता नहीं बचा था। सरकार ने ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट फैसले के आधार पर सिद्धू की सजा का समर्थन किया है। उम्मीद है कि सिद्धू के समाज के योगदान को फैसले के समय ध्यान में रखेंगे।
इसी मामले पर जब सिद्धू से सवाल पूछा गया था तो सिद्धू का जवाब था, 'कैप्टन अमरिंदर को इसका जवाब देना चाहिए कि सरकार ने 30 साल पुराने मामले में उनकी सजा बरकरार रखने की मांग क्यों की है।' सिद्धू ने इशारों-इशारों में निशाना साधते हुए यह भी कहा कि ऐसा लगता है जैसे किसी ने मेरी पीठ में खंजर घोंप दिया हो।
बता दें कि वर्ष 1998 के रोड रेज के एक मामले में साल 2006 में हाईकोर्ट से सिद्धू को तीन साल की सजा मिली थी, जिसका पंजाब सरकार ने समर्थन किया था।
इसके खिलाफ सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार के अधिवक्ता ने गुरुवार को कहा था कि तीन साल की सजा को बरकरार रखा जाए। उस दौरान सिद्धू के वकील राज्य सरकार के वकील की दलीलों का जवाब देंगे। इससे पहले सिद्धू ने रोड रेज मामले को लेकर दायर एक नई याचिका का विरोध किया था।
इस बीच मामले में पीड़ित पक्ष गुरनाम सिंह के परिवार ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। इस याचिका में कहा गया है कि सिद्धू को मिली तीन साल की सजा काफी नहीं है और इसे बढ़ाया जाना चाहिए।
क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू ने इस याचिका को लेकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई पहले ही कर रहा है, लिहाजा इसे रेकॉर्ड पर नहीं रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर याचिकाकर्ता को याचिका दाखिल ही करनी है तो वह पहले निचली अदालत या हाई कोर्ट जाए।
इससे पहले सिद्धू के खिलाफ एक नई याचिका दाखिल की गई थी। इसमें कहा गया है कि सिद्धू ने वर्ष 2010 में एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में माना था कि रोड रेज की घटना में उनकी भूमिका थी और उन्होंने यह माना था कि गुरुनाम सिंह को उन्होंने मारा था।