आइसीआइसीआइ बैंक और वीडियोकॉन ग्रुप के घोटाले के बीच आज भाजपा सांसद उदित राज ने रहस्योद्घाटन किया कि उन्होंने 2012 में ही जांच एजेसी सीबीआइ को बताया था कि यह बैंक घोटाले में लिप्त है। उन्होंने कहा कि इस बारे में उन्होंने सीबीआइ को पत्र लिखा था।
उदित राज ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि राजीव गांधी स्वास्थ्य शिल्पी बीमा योजना के लाभार्थी आइसीआइसीआइ लोंबार्ड के माध्यम से प्रोत्साहन राशि ले रहे थे। यह बैंक लाभार्थियों और सरकार के बीच बिचौलिए का काम करता था। सरकार बैंक को पैसा स्थानांतरित करती थी और फिर बैंक इसे लाभार्थियों को देता था। इसी दौरान राजस्थान में 13,000 फर्जी लोगों को मौसम आधारित बीमा योजना के लिए खोजा गया था और इन्हें पैसे दिए गए थे। उन्होंने कहा कि मैंने इसके बारे में 2012 में सीबीआइ को पत्र लिखा था पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
भाजपा नेता ने कहा कि भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आइआरडीएआइ) के तत्कालीन चेयरमैन आरके नायर भी इस घोटाले में शामिल थे। उन्होंने सवाल उठाया कि करोड़ों रुपये की संलिप्तता में मात्र दस लाख रुपये का जुर्माना क्यों लगाया गया। उदित राज ने कहा कि आरके नायर को पता था कि क्या हुआ है। इसकी वजह से भारी मात्रा में धन के शामिल होने के बाद भी उन्होंने मात्र दस लाख रुपये के जुर्माने से ही आइसीआइसीआइ को छोड़ दिया। इसके बाद नायर को बैंक का निदेशक बना दिया गया।
भाजपा सांसद ने नायर और आइसीआइसीआइ बैंक की सीइओ चंदा कोचर की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की। उन्होंने कहा कि इस मामले में इन दोनों से विस्तृत पूछताछ की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मैंने इस मामले को 2013 और 2014 में संसद में उठाया पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। चंदा कोचर के संबंध काफी ऊपर तक हैं और उन्हें पब्लिक आइकन के रूप में देखा जाता है, इसकी वजह से उनतक पहुंचना बहुत कठिन है।