केंद्र से चल रही खींचतान के बीच नरेंद्र मोदी की सरकार ने हेमंत सरकार को बिजली का एक और झटका दिया है। डीवीसी ( दामोदर घाटी निगम) के बकाया बिजली मद में 714 करोड़ रुपये राज्य के खजाने से काट लिये। हालांकि इसी सप्ताह राज्य मंत्रिमंडल ने उस त्रिपक्षीय समझौते से खुद को अलग कर लिया था जिसमें बकाया राशि राज्य के खजाने से काट लिये जाने का प्रावधान था। एक दिन पहले ही राज्य के ऊर्जा सचिव अविनाश कुमार ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय और आरबीआइ को कैबिनेट के फैसले से संबंधित पत्र लिखकर राशि न काटने को कहा था।
डीवीसी का 5608.32 करोड़ रुपये नहीं चुकाने के कारण त्रिपक्षीय समझौते के हवाले बीते अक्टूबर महीने में ही केंद्र ने राज्य के खजाने से 1417.40 करोड़ रुपये काट लिये थे। जानकारी के अनुसार आरबीआइ के गवर्नर को केंद्रीय ऊर्जा सचिव संजीवन एन सहाय के डीओ लेटर के बाद आरबीआइ ने 714 करोड़ रुपये की दूसरी किस्त की राशि की राज्य के खजाने से कटौती कर ली है।
भाजपा की रघुवर सरकार के समय में 2017 में ऊर्जा मंत्रालय, डीवीसी और राज्य सरकार के बीच त्रिपक्षीय समझौता हुआ था। जिसमें बकाया राशि की अदायगी नहीं करने पर राज्य के खजाने से आरबीआइ के माध्यम से राशि काट लिये जाने का प्रावधान है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कहते रहे हैं कि यह पांच हजार करोड़ से अधिक की बकाया राशि रघुवर सरकार के समय की है। तब राज्य के खजाने से कोई कटौती नहीं की गई। दूसरे राज्यों के पास बड़ी राशि बकाया है मगर वहां कटौती नहीं की गई।
डीवीसी से झारखंड के सात जिलों में बिजली की आपूर्ति होती है। झारखंड बिजली वितरण निगम ने पूरी बकाया राशि को विवादित बताया था। उसके बाद डीवीसी ने 5608.32 करोड़ में विवादित राशि 1619 करोड़ घटाने पर सहमति जता दी है। इस तरह 1417.40 करोड़ की पहली किस्त काट लिये जाने के बाद करीब 2571 करोड़ का बकाया रह जाता है। जिसमें 714 करोड़ की दूसरी किस्त भी आरबीआइ के माध्यम से काट ली गई है।
पहली किस्त काटे जाने के समय ही नोटिस में बता दिया गया था कि 1450 करोड़ की दूसरी किस्त जनवरी और तीसरी व चौथी किस्त अप्रैल व जुलाई में काटी जायेगी। राज्य के ऊर्जा सचिव को आशंका थी कि बकाया विवादित राशि को घटाने के बाद 15 जनवरी को दूसरी किस्त के रूप में कोई 750 करोड़ रुपये की राशि काटी जा सकती है। मगर राशि पहले ही कट गई।
कैबिनेट के फैसले के बावजूद दूसरी किस्त की राशि काट लिये जाने से केंद्र और झारखंड के बीच के संबंध और तीखे होने की आशंका है। कोरोना के संकट के बीच जब राज्य का खजाना खाली था केंद्र द्वारा 1417.40 करोड़ रुपये काट लिये जाने पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर गहरी आपत्ति जताते हुए राशि वापस करने की मांग की थी। राशि वापसी तो दूर अब दूसरी किस्त की राशि भी काट ली गई। जाहिर है इसका असर केंद्र के साथ रिश्तों पर पड़ेगा।
ताजा बिजली बकाया को लेकर भी डीवीसी से टकराव चलता रहता है। डीवीसी ने ताजा बिजली का भुगतान नहीं करने पर बिजली की आपूर्ति में कटौती शुरू कर दी। 60 प्रतिशत तक। कोई 170 करोड़ का लेटर ऑफ क्रेडिट भी भुना लिया और आगे बिजली आपूर्ति के लिए नया लेटर ऑफ क्रेडिट जारी करने नहीं तो ब्लैक आउट की चेतावनी दी तो राज्य सरकार का स्वर भी तीखा हो गया। और केंद्रीय लोक उपक्रमों पर बिजली वितरण निगम का बकाया नहीं अदा करने पर बिजली आपूर्ति बंद करने की चेतावनी दी गई। वर्तमान में केंद्रीय लोक उपक्रमों सहित केंद्रीय संस्थानों पर बिजली वितरण निगम को कोई 1300 करोड़ रुपये बकाया है। ऐसे में राज्य सरकार एक्शन में आई तो एचईसी, यूरेनियम कॉरपोरेशन, द स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया, द गैरिसन इंजीनियर आदि अंधेरे में डूब संकते हैं।