Advertisement

क्रेडिट लेने से ज्यादा काम पर जोर, हिमाचल सीएम की सादगी विरोधियों पर पड़ेगी भारी ?

हिमाचल प्रदेश से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह के निधन के बाद, लोगों के दिलों पर लंबे समय तक राज...
क्रेडिट लेने से ज्यादा काम पर जोर, हिमाचल सीएम की सादगी विरोधियों पर पड़ेगी भारी ?

हिमाचल प्रदेश से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह के निधन के बाद, लोगों के दिलों पर लंबे समय तक राज करने वाला नेता चला गया, परन्तु जिस तरह से पहाड़ के लोगों के दिलों में यहीं के जन मानुष के प्रति श्रद्धा व लगाव रहा। वही, प्रदेश की भविष्य की राजनीति धुरी भी माना जा रहा है। वर्तमान मुख्यमंत्री भले ही राजा-रजवाड़ों की विरासत से ना हों और अत्यंत सामान्य पारिवारिक पृष्ठ भूमि से हों, परन्तु पहाड़ों के मर्म को जिस तरह वह समझते और कार्य करते हैं, वह किसी राजा जैसे अक्स से कम नहीं। राज्य के 6 मर्तबा सी.एम. रहने का राज वीरभद्र सिंह का यही था कि वह लोगों के दिलों में बसते थे और कांग्रेस हाईकमान से ’रार’ के बावजूद लोगों की पंसद होने के कारण वह प्रदेश में शासन करते रहे। जयराम ठाकुर भाजपा के वर्तमान मुख्यमत्रीं भले ही हों लेकिन सादगी व सरलता के साथ ही वह लोगों की समस्याओं व पहाड़ों के दर्द को बखूबी समझते हैं। संगठन में जमीनी तौर पर गांव-गांव काम करके आगे बढ़े जयराम ने भी गरीबों और देहात के लोगों को अपना हाथ थमाया। लगातार पांच मर्तबा एम.एल.ए. रहने का कारण भी यही था कि वह लोगों से पल भर भी दूर नहीं हुए। उनके पार्टी अध्यक्ष रहते वर्ष 2007 में पहली बार भाजपा अपने बूते प्रदेश में ऐसी सरकार बना पाई जो पूरे पांच वर्ष तक चली। यह प्रदेश का ऐतिहासिक पल था।

यही नहीं, भारत के पार्टी इतिहास में हिमाचल का नाम तब दर्ज हुआ जब गत लोकसभा चुनावों में बेहतरीन मर्जिन के साथ पार्टी ने चारों लोकसभा सीटें जीतीं और देश में सबसे ज्यादा वोट शेयर भाजपा को हिमाचल ने ही दिया। तब बतौर सी.एम. जयराम पर पार्टी ने जिम्मेदारी डाली थी। जयराम एक सायलेंट वर्कर है। क्रेडिट लेने के झाम से बहुत दूर वह जमीनी स्तर पर अपना काम निपटाते हैं। सी.एम. बनते ही उनका पहला निर्णय था, बुजुर्गों को पेंशन देना। ऐसी ही करीब दो दर्जन छोटी-बड़ी योजनांए, जो सीधा लोगों के दिलों को छू गई। चाहे रात एक बजे हों या अलसुबह-हर व्यक्ति के दुःख को स्वयं देखते हैं। कोविड की स्थिति में हिमाचल ने भी पर्यटकों की आने की व्यवस्था के बावजूद इंतजाम किए व मात्र 30 दिन में एक बड़ा कोविड अस्पताल खड़ा करना, सामान्य बात नहीं थी। ऐसा नहीं कि जयराम का पहाड़ों का सफर सरल था। परन्तु जो रोड़े उनके रास्ते में आए, वह उन्हें असहज करने मे लिए काफी थे। लेकिन शांति व संयम के धनी इस शख्स ने ना भवें तरेंरी ना ही बदला-बदली का राग अलापा। हालांकि कितनी ऐसी अप्रिय घटनाएं हुई जब सार्वजनिक मंचों से या पर्दे के पीछे बतौर मुख्यमंत्री उनकी स्थिति अपने ही परिजनों व वरिष्ठ नेताओं द्वारा असहज की गई। लेकिन सरल व्यवहार के कारण उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, ना ही अपने कार्यों से विचलित हुए। पार्टी में कई व्यक्तियों के ध्रुवों में बंटे होने के बावजूद वह सभी को साथ लेकर चलते रहे। चाहे राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा हों, या फिर राज्यसभा सांसद व राष्ट्रीय मंत्री इंदू गोस्वामी हो अथवा केंद्रीय कॅबिनेट मंत्री अनुराग ठाकुर हों या फिर शांता कुमार या प्रेमकुमार धूमल रहें हों। सभी पावर सेंटरों के बावजूद वह ईमानदार प्रयासों से जनता के बीच जाते रहे।

पुराने हिमाचल के पहाड़ी हिस्सों में जयराम का लगाव वीरभद्र सिंह की भांति बहुत गहरा है। मंडी, शिमला, कुल्लू, किन्नौर, चंबा, सिरमौर, लौहुल, बिलासपुर, सोलन इत्यादि में वीरभद्र के कद का अक्स भाजपा के जयराम में लोग देख रहें हैं। जिसे दिल्ली की चकाचौंध व ताने बाने से दूर आम लोगों का लगाव मिला है। यही कारण रहा कि विपक्ष भी जयराम की कार्यप्रणाली पर उंगली नहीं उठा सका। हाल ही में राहुल गांधी के हिमाचल दौरे के दौरान कांग्रेस के पार्टी प्रभारी राजीव शुक्ला पार्टी के प्रदेश नेताओं के साथ उनके आवास में मिलने गए। सभी मुद्दों पर वरिष्ठ नेताओ के साथ चर्चा करके सिरे चढ़ाने का जयराम का मकसद यही है कि उनकी अपनी कोई प्राथमिकताएं नहीं है। अफसर हालांकि दिल्ली दरबार में हाजिरी भर कर हुकुम फरमाते हैं परन्तु सीएम यह जान कर भी मधुर व्यवहार से काम ले रहें हैं। बताते हैं कि इसका मकसद यही है कि अफसरों से खूब काम लेकर विकास बढ़ाना है ना कि विवाद को तूल देना। बहरहाल विरोधियों के चहकने के बावजूद प्रदेश विकास की जिम्मेदारी के साथ जयराम ठीक वैसे विधायकों व पार्टी के साथ आगे बढ़ रहे हैं जैसे वर्ष 2007 में बतौर अध्यक्ष कार्य किया था। राजसी या वंशज खानदान भले ही ना हो परन्तु हिमाचल के पहाड़ी लोग जयराम को प्यार व लगाव से अपना माणु जान कर आगे बढ़ा रहे हैं।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad