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मुख्यमंत्री बनने के लिए हिमंत की धमकी आ गई काम, बोला नहीं बनाया तो उठाऊंगा ये कदम

असम की कमान आखिरकार हिमंत बिस्व सरमा को मिल ही गई। पूर्वोत्तर राज्य में बीजेपी की उभार में मुख्य...
मुख्यमंत्री बनने के लिए हिमंत की धमकी आ गई काम, बोला नहीं बनाया तो उठाऊंगा ये कदम

असम की कमान आखिरकार हिमंत बिस्व सरमा को मिल ही गई। पूर्वोत्तर राज्य में बीजेपी की उभार में मुख्य भूमिका निभाने वाले सरमा आज मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। असम में पिछले कई दिनों से मुख्यमंत्री के नाम को लेकर माथापच्ची चल रही थी। सरमा के अलावा निवर्तमान मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल भी इस पद की रेस में थे। लेकिन आखिरी वक्त में सरमा के तुरुप का इक्का काम कर ही गया।

गुवाहाटी प्लस के मुताबिक सरमा ने दिल्ली में हाईकमान से कहा कि अगर उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो वह कोई पद नहीं लेंगे। वे अपने निर्वाचन क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करेंगे। आलाकमान से उन्होंने यह भी कहा था कि अगर शीर्ष पद सर्बानंद सोनोवाल को जाता है, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है और वह मंत्रालय में कोई भी पद नहीं लेंगे और अकेले अपने निर्वाचन क्षेत्र तक ही सीमित रहेंगे।

इस बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता पीयूष हजारिका ने कहा कि उन्होंने भाजपा नेतृत्व को एक सूची पेश की जिसमें दिखाया गया कि सरमा को 60 के कुल में से 45 विधायकों का समर्थन प्राप्त था।

बता दें कि रविवार को सर्वसम्मति से बीजेपी विधायक दल और फिर बाद में एनडीए विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस (एनईडीए) के संयोजक हेमंत बिस्वा सरमा के असम का अगला मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीन सदस्यीय केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में रविवार को यहां नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक में यह निर्णय लिया गया। इस बीच निवर्तमान मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राज्यपाल प्रो जगदीश मुखी से राजभवन में मुलाकात की और उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा।
असम विधानसभा चुनाव में भाजपा नीत गठबंधन के सत्ता में आने के बाद से श्री सोनोवाल और श्री सरमा दोनों ही मुख्यमंत्री पद की होड़ में थे।

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सरमा ने 1996 में अपना राजनीतिक कैरियर शुरू किया था और पहली बार 2001 में जालुकबाड़ी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में असम गण परिषद के नेता भृगु फुकन को पराजित किया था। इसके बाद 2006, 2011 और 2016 के विधानसभा चुनाव में इसी सीट पर अपनी जीत का सिलसिला बनाये रखा। इस बार 2021 का चुनाव भी यहीं से लड़ा और छठवीं बार जीत हासिल की।

उन्होंने मंत्री के रूप में असम शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, कृषि, योजना और विकास, पीडब्ल्यूडी और वित्त जैसे महत्वपूर्ण विभागों का दायित्व संभाला है।

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