आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने पांच सांसदों द्वारा उन पर लगाए गए "नकली हस्ताक्षरों" के आरोपों को लेकर गुरुवार को भाजपा पर पलटवार किया और चुनौती दी कि भाजपा उन्हें कागज का वह टुकड़ा दिखाएं जहां वे फर्जी हस्ताक्षर का दावा कर रहे हैं।
राघव चड्ढा का बयान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा राज्यसभा में धोखाधड़ी का आरोप लगाने के बाद आया, जब उच्च सदन के पांच सांसदों एस फांगनोन कोन्याक, भाजपा के नरहरि अमीन और सुधांशु त्रिवेदी, अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरई और बीजद के सस्मित पात्रा ने कहा कि चड्ढा द्वारा सदन में पेश किए गए एक प्रस्ताव में उनकी सहमति के बिना उनका नाम शामिल किया गया है।
दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए चड्ढा ने कहा, ''मैं भाजपा नेताओं को वह कागज लाने की चुनौती देता हूं जिस पर फर्जी हस्ताक्षर किए गए थे।''
आप नेता ने नियम पुस्तिका का हवाला देते हुए कहा कि सांसद किसी भी समिति के गठन के लिए नाम प्रस्तावित कर सकता है और जिस व्यक्ति का नाम प्रस्तावित किया जाता है उसके न तो हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है और न ही लिखित सहमति की। उन्होंने कहा, ''लेकिन यह झूठ फैलाया गया कि फर्जी हस्ताक्षर किए गए हैं।''
उन्होंने आगे मीडिया से सच्चाई दिखाने का अनुरोध किया और कहा, "मैं मीडिया से अनुरोध करता हूं कि वह सच्चाई दिखाए। मीडिया का एक छोटा वर्ग मेरे खिलाफ दुष्प्रचार कर रहा था और मुझे उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करानी होगी। मुझे उन सांसदों के खिलाफ अदालत और विशेषाधिकार समिति में भी शिकायत दर्ज करनी होगी जिन्होंने दावा किया था कि हस्ताक्षर जाली थे।"
इस दौरान आप नेता संजय सिंह भी कॉन्फ्रेंस के दौरान मौजूद रहे और उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार चड्ढा की राज्यसभा सदस्यता खत्म करना चाहती है, जैसा उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ किया था।
संजय सिंह ने प्रेस वार्ता में कहा, "एक नई परंपरा शुरू हो गई है कि जो भी मोदी जी के खिलाफ बोलेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई करो। गृह मंत्री अमित शाह को पता होना चाहिए कि नाम प्रस्तावित करने के लिए किसी हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं है। पार्टी राहुल गांधी की तरह राघव चड्ढा की सदस्यता खत्म करने की कोशिश कर रही है। भाजपा का मंत्र एक झूठ को 1,000 बार बोलना है ताकि वह सच जैसा लगे। भाजपा ने यह झूठी कहानी फैलाई कि हस्ताक्षर जाली थे।"
दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कल राज्यसभा में दिल्ली सेवा विधेयक पर बोलते हुए कहा, "दो सदस्य (बीजद सांसद सस्मित पात्रा और भाजपा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी) कह रहे हैं कि उन्होंने आप सांसद राघव चड्ढा द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव (चयन समिति का हिस्सा बनने के लिए) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। अब यह जांच का विषय है कि प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कैसे किए गए।"