रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों के नजरबंदी से जल्द रिहा होने की प्रार्थना कर रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि वे कश्मीर में हालात को सामान्य बनाने में योगदान देंगे। 5 अगस्त 2019 से ही फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती नजरबंद किए गए हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘कश्मीर शांतिपूर्ण रहा है। स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है। सुधार के साथ-साथ इन निर्णयों (नजरबंदी से राजनेताओं की रिहाई) को भी अंतिम रूप दिया जाएगा। सरकार ने किसी को भी प्रताड़ित नहीं किया है।'
‘कश्मीर के हितों में उठाए गए हैं कदम’
सरकार के फैसले का बचाव करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि कश्मीर के हितों में कुछ कदम उठाए गए हैं और हर किसी को इसका स्वागत करना चाहिए। राजनाथ सिंह ने कहा कि वह फारूक, उमर और महबूबा मुफ्ती की जल्द रिहाई के लिए प्रार्थना करेंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘मैं यह भी प्रार्थना करता हूं कि जब वे बाहर आएं तो कश्मीर की स्थिति को सुधारने में अपना योगदान दें।'
5 अगस्त नजरबंद हैं जम्मू-कश्मीर के कई नेता
मोदी सरकार द्वारा पिछले साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को हटा दिया गया था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया। इसी समय से एहतियात के तौर पर जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों नेशनल कॉन्फ्रेंस से फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और पीपल्स डेमोक्रैटिक पार्टी (पीडीपी) से महबूबा मुफ्ती समेत दर्जनों राजनेताओं को नजरबंद कर दिया गया था।
पीएसए के तहत हैं नजरबंद
हालांकि, अब तक कई राजनेताओं को रिहा कर दिया गया है लेकिन तीनों पूर्व मुख्यमंत्री और एक दर्जन राजनेताओं को अभी भी नजरबंद रखा गया है। फारूक अब्दुल्ला को सितंबर में कड़े सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत नजरबंद किया गया और इसके कुछ समय बाद उमर और महबूबा को भी इसी के तहत हिरासत में लिया गया था। सरकार ने सुरक्षा की दृष्टि से इन नेताओं के भड़काऊ बयानों का हवाला देते हुए इन्हें नजरबंद रखा है।