केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि अगर महा विकास अघाड़ी 20 नवंबर को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव जीतती है तो राज्य कांग्रेस के लिए एटीएम (ऑटोमेटेड टेलर मशीन) में बदल जाएगा।
शाह ने जलगांव जिले के चालीसगांव में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, "वे (एमवीए) राज्य के संसाधनों का उपयोग करके महाराष्ट्र से धन निकाल लेंगे और पैसा दिल्ली भेज देंगे।"
शाह ने कहा, "इसके विपरीत, यदि भाजपा नीत महायुति सरकार बनाती है तो मोदी प्रशासन महाराष्ट्र के लिए और अधिक विकास सुनिश्चित करेगा।"
शाह ने कहा कि झारखंड में भाजपा सरकार बनाने जा रही है और महाराष्ट्र में महायुति सरकार सत्ता में आने वाली है। उन्होंने कहा, "ऐसा इसलिए है क्योंकि कांग्रेस झूठे वादे करती है और लोगों को गुमराह करती है।"
उन्होंने कहा, "हाल ही में राहुल गांधी बाबासाहेब अंबेडकर के संविधान की प्रति लहराते नजर आए। उन्होंने संसद में शपथ लेते समय भी इसी प्रति का इस्तेमाल किया।"
शाह ने कहा, "जब कुछ पत्रकारों के हाथ वह प्रति लगी तो उसमें खाली पन्ने थे। फर्जी संविधान दिखाकर राहुल ने लोगों का भरोसा तोड़ा और बाबासाहेब का अपमान किया। जाहिर है, राहुल बाबा, आपने कभी भारतीय संविधान पढ़ा ही नहीं है।"
शाह ने कहा कि वोट बैंक की राजनीति के कारण सोनिया-मनमोहन सरकार ने 10 साल तक नक्सलवाद और आतंकवाद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
उन्होंने कहा, "कांग्रेस की पूरी राजनीति धोखे के आधार पर चलती है। वे कह रहे हैं कि महायुति सरकार बनने के बाद महाराष्ट्र में निवेश कम हो गया है। सच्चाई यह है कि एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस की सरकार बनने के बाद हमारा महाराष्ट्र पूरे भारत में एफडीआई के मामले में नंबर एक है।"
उन्होंने कहा, "आपका एक वोट न केवल महाराष्ट्र में महायुति सरकार बनाएगा, बल्कि आपका एक वोट महाराष्ट्र की प्यारी बहनों के खाते में 2,100 रुपये भी जमा करेगा। आपके एक वोट के परिणामस्वरूप किसानों के खाते में सालाना 12,000 रुपये के बजाय 15,000 रुपये जमा होंगे। आपका एक वोट भारत के भविष्य को मजबूत करेगा।"
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी 'पत्थर की लकीर' की तरह है, जबकि कांग्रेस तेलंगाना, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में चुनाव पूर्व वादों से मुकर गई है।
वरिष्ठ नेता शरद पवार पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा कि पवार कई वर्षों तक मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रहे, लेकिन उन्होंने मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिलाने के लिए कुछ नहीं किया।