कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार लगातार वित्तीय घोटालों को छिपाने के लिए लगातार सरकारी खजाने को चूना लगा रही है। इसका ताजा मामला 91 हजार करोड़ रुपये का आईएल एंड एफएस का बकाया कर्जा है। कांग्रेस ने सरकार से सवाल किया है, ‘आखिर क्यों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली आईएल एंड एफएस को बचाने के लिए एलआईसी और एसबीआई को बर्बाद करने पर तुले हैं? इस पूरे घोटाले में मदद करना किसके हितों को बचा रहा है?'
कांग्रेस के मीडिया पैनेलिस्ट और प्रवक्ता प्रोफेसर गौरव वल्लभ ने एक प्रेस कांफ्रेस कर कहा कि पिछले साढ़े चार साल में मोदी-जेटली की जोड़ी ने वित्तीय क्षेत्र को बर्बाद करने का काम किया है। इसकी चाहे बैंकों के एनपीए में 400 फीसदी की बढ़ोत्तरी का मामला हो या एक लाख करोड़ रुपये से ऊपर के बैंक लूट घोटाले हों, आम लोगों की छोटी-छोटी बचत को खत्म करना हो और एलआईसी के करोड़ों निवेशकों की पारिवारिक सुरक्षा और बचत को दांव पर लगाना हो। उन्होंने कहा कि ताज़ा मामला इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेस (आईएल एंड एफएस) लिमिटेड का है। इस कंपनी में 60 फीसदी हिस्सेदारी प्राइवेट कॉरपोरेट सेक्टर की है। इसमें 36 फीसदी विदेशी निवेशक और 39.43 फीसदी हिस्सेदारी सरकारी बैंकों और एलआईसी जैसी कंपनियों की है।एलआईसी और एसबीआई को 7500 करोड़ रुपया देने के लिये मजबूर करने का हम विरोध करते हैं। हम पूछना चाहते हैं कि सरकार आम लोगों की बचत को आईएलएंडएफएस को बेलआउट में क्यों लगाना चाहते हैं, जिसमें 36 प्रतिशत हिस्सा विदेशी निवेशकों का है।
बचत का पैसा लगाया जारहा है दांव पर
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि मोदी सरकार अपने कारनामों को छिपाने के लिए फायदे वाली सरकारी कंपनियों के पैसे से डूबती हुई कॉरपोरेट कंपनियों को उबारना और करोड़ों आम लोगों की बचत को दांव पर लगाती रही है। अब 60 फीसदी निजी हिस्सेदारी वाले आईएल एंड एफएस को बचाने के लिए एलआईसी और एसबीआई को खतरे में डाला जा रहा है। आईएल एंड एफएस पर इस समय 91 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज है, जो उसे सरकारी और निजी बैंकों को चुकाना है। मोदी शासन में पिछले चार साल में आईएल एंड एफएस पर कर्ज में 42420 करोड़ की बढ़ोत्तरी हुई है। यानी हर महीने 900 करोड़ रुपये का कर्ज बढ़ा है। आईएल एंड एफएस संकट से घिरा है और हालत यह है कि उसके पास अपना कर्ज उतारना तो दूर, कर्मचारियों को वेतन देने तक के लाले पड़ गए हैं।
सीएजी और सीवीसी की नजर क्यों नहीं पड़ी
कांग्रेस ने इस मामले में पीएम से सवाल किया है कि मोदी सरकार एक ऐसी कंपनी को बचाने के लिए एलआईसी के 38 करोड़ धारकों और एसबीआई के करोड़ों ग्राहकों की जमा पूंजी क्यों दांव पर लगा रही है, जिसके प्रबंधन ने हजारों करोड़ का कुप्रबंधन किया है? दो महीने पहले ही एलआईसी से 13 हजार करोड़ रुपये दिलवाकर आईडीबीआई बैंक को बचाने की कोशिश की गई है। लेकिन, आईएल एंड एफसी को बचाने में 36 फीसदी हिस्सेदारी वाले विदेशी निवेशकों को बचाया जा रहा है? कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि आईएल एंड एफएस में एलआईसी और सरकारी बैंकों की करीब 40 फीसदी हिस्सेदारी है, फिर भी इसके कुप्रबंधन पर अभी तक सीएजी या सीवीसी की नजर क्यों नहीं पड़ी?