नई दिल्ली। कैबिनेट की बैठक में किसानों पर बेमौसम बारिश की मार और कृषि संकट से सरकार की बिगड़ती छवि का मुद्दा भी उठा। किसानों की मुश्किलों को देखते हुए सरकार बारिश से खराब गेहूं की कम कीमत पर खरीद का बोझ किसानों के बजाय खुद वहन करने का फैसला किया है। गौरतलब है कि मानकों के अनुरूप गुणवत्ता में कमी वाले गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य से तीन से सात रुपये कम दाम पर सरकारी खरीद होती है। कुछ राज्य सरकारें दाम में इस कमी की भरवाई अपने ओर से कर रही हैं। लेकिन अब केंद्र सरकार अपनी तरह से इसकी भरपाई करेगी। गौरतलब है कि विभिन्न राज्यों में अब तक करीब 159 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हो चुकी है, जबकि साल इस समय तक यह आंकड़ा 170 लाख टन तक पहुंच गया था। बेमौसम बारिश के चलते पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान और मध्य प्रदेश्ा में बड़े पैमाने पर गेहूं की फसल खराब हुई है।
चीनी पर आयात शुल्क 25 से बढ़कर 40 फीसदी
चीनी उद्योग के संकट को देखते हुए केंद्र सरकार चीनी पर आयात शुल्क 25 से बढ़ाकर 40 फीसदी करने का फैसला किया है। इससे देश में विदेशी चीनी के आयात पर अंकुश लगेगा और घरेलू उद्योग को राहत मिलेगी। इसके अलावा सरकार ने ड्यूटी फ्री शुगर इंपोर्ट की एक योजना को भी बंद कर दिया है। और शीरे से एथनॉल के उत्पादन पर उत्पाद शुल्क माफ किया है। गौरतलब है कि चीनी मिलों का गन्ना किसानों को बकाया बढ़कर 21 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इससे किसानों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।
1000 रुपये पेंशन पर केंद्र की मुहर
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने न्यूनतम पेंशन 1000 रुपये जारी रखने के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है। कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 (ईपीएस) के दायरे में आने वाले लोगों को हर महीने न्यूनतम एक हजार रुपये पेंशन का प्रावधान वित्त वर्ष 2014-15 के बाद भी जारी रहेगा। यह योजना मार्च, 2015 को बंद हो गई थी। केंद्र सरकार के इस फैसले से ईपीएस में शामिल करीब 20 लाख पेंशनधारकों को फायदा होगा।