लोकसभा चुनाव 2019 जैसे-जैसे करीब आ रहा है, वैसे-वैसे उत्तर प्रदेश में महागठबंधन की राह मुश्किल होती नजर आ रही है। बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा मुखिया अखिलेश यादव की कांग्रेस से बढ़ती दूरी से जहां तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट तेज हो गई है। वहीं, कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व एमएलसी ने भी प्रदेश में गठबंधन नहीं करने के लिए अध्यक्ष समेत कार्य समिति के सभी सदस्यों को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि यदि पार्टी के नेता चाहें तो छोटे-छोटे दलों को साथ में ले लें।
प्रदेश में बसपा, सपा, रालोद, पीस पार्टी और निषाद पार्टी का गठबंधन तय माना जा रहा है, लेकिन कांग्रेस को लेकर दुविधा की स्थिति है। यह भी संभव है कि कांग्रेस को यूपी में अकेले लड़ना पड़े।
पूर्व एमएलसी ने कार्यसमिति को लिखा पत्र
वहीं, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष और पूर्व एमएलसी सिराज मेहंदी ने अखिल भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष और कार्य समिति के सभी सम्मानित सदस्यों को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा का चुनाव पार्टी अकेले लड़े। उन्होंने कहा कि यही आवाज प्रदेश के लाखों कांग्रेसियों और जनता की है। अगर हाईकमान चाहे तो इसका सर्वे करा ले। उन्होंने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव 2017 के चुनाव से हमें सबक लेना चाहिए।
नतीजों से कांग्रेस हुई मजबूत
उन्होंने तर्क दिया है कि विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी ने देवरिया से दिल्ली किसान यात्रा करके जो किसानों के हित में नारा दिया, उससे कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना था, लेकिन कुछ नेताओं की सलाह पर 28 से सात विधायक रह गए। अकेले लड़ते तो 80 सीट से 100 सीट तक जीत सकते थे।
उन्होंने पत्र में कहा है कि पांच राज्यों के चुनाव नतीजों से साफ हो गया है कि देश में भाजपा को केवल कांग्रेस हरा सकती है। और इसका विश्वास भी जनता को हो गया है, क्योंकि आज देश के हर तबका भाजपा शासन से छुटकारा चाहता है।