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'आप' ने जेटली पर फोड़ा 'लेटर बम', दागे 5 नए सवाल

डीडीसीए मामले में आम आदमी पार्टी ने वित्‍त मंत्री अरुण जेटली पर नया हमला बोल दिया है। आज एक प्रेस कांफ्रेंस कर 'आप' नेताओं ने आरोप लगाया कि अरुण जेटली को डीडीसीए में हो रही गड़बड़‍‍ियों की पूरी जानकारी थी और उन्‍होंने राज्‍यसभा में विपक्ष का नेता रहते हुए डीडीसीए में फ्रॉड के एक मामले की जांच बंद कराने के लिए अपने प्रभाव का इस्‍तेमाल किया।
'आप' ने जेटली पर फोड़ा 'लेटर बम', दागे 5 नए सवाल

आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि वर्ष 2011 में बतौर डीडीसीए अध्यक्ष अरूण जेटली ने एक निजी बैंक के क्रिकेट क्लब की संलिप्तता वाले मामले की जांच को बंद करने के लिए तत्कालीन पुलिस आयुक्त पर दबाव डाला था। पार्टी ने दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त बीके गुप्ता और तत्कालीन विशेष आयुक्त रंजीत नारायण को कथित रूप से जेटली द्वारा लिखे दो पत्रों को जारी किया। 

आप नेता आशुतोष ने 27 अक्टूबर 2012 और 5 मई 2012 को लिखी अरुण जेटली की दो चिट्ठियां दिखाकर उन्‍हें घेरने की कोशिश की। आशुतोष के मुताबिक, 27 अक्टूबर 2011 को तत्‍कालीन पुलिस कमिश्नर को लिखे पत्र में जेटली ने डीडीसीए से जुड़े एक मामले की जांच बंद करने की बात कही थी। यह सीधे तौर पर पुलिस की जांच में बाधा डालने का मामला है। इस चिट्ठी के 8 महीने बाद 5 मई 2012 को उन्‍होंने स्पेशल कमिश्नर रंजीत नारायण को एक और पत्र लिखा जिसमें जांच बंद करने का अाग्रह किया गया। आशुतोष ने आरोप लगाया कि इन चिट्ठियों से जाहिर है कि जेटली को डीडीसीए के घोटालों की पूरी जानकारी थी और उन्‍होंने जांच को प्रभावित करने का प्रयास भी किया।  

गौरतलब है कि डीडीसीए में कथित भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर अरुण जेटली कहते रहे हैं कि डीडीसीए के रोजमर्रा के कामकाज से उनका लेना-देना नहीं था। लेकिन आम आदमी पार्टी ने जेटली की इन कथित चिट्ठियों के जरिये डीडीसीए में उनकी सक्रिय भूमिका का दावा किया है। ऐसे में उनको मंत्री पद पर नहीं रहना चाहिए। आम आदमी पार्टी ने सवाल उठाया कि जेटली डीडीसीए घोटाले की जांच का स्वागत क्यों नहीं कर रहे हैं? आरोपों पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने सवाल किया कि जेटली द्वारा पुलिस आयुक्त को पत्रा लिखने में क्या गलत है। उन्होंने कहा, वह सत्ता तक में नहीं थे इसलिए आरोपों में कोई दम नहीं है।

आप नेताओं का कहना है कि जब राज्यसभा में विपक्ष का नेता रहते हुए जेटली डीडीसीए की जांच को बंद कराने की कोशिश कर सकते हैं तो आज वह सत्ता पक्ष में होते हुए ऐसा करने में ज्‍यादा सक्षम हैं। इसलिए डीडीसीए में भ्रष्‍टाचार के मामले की निष्पक्ष जांच होने तक जेटली को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।   

जेटली से आप के 5 सवाल 

1 - क्या यह सही नहीं है कि आपने दिल्ली पुलिस पर दबाव बनाने के लिए राज्यसभा में विपक्ष के नेता के पद का दुरुपयोग किया?

2 - क्या आप इस बात से इनकार कर सकते हैं कि आपने जो किया वह पुलिस की जांच में बाधा डालना है?

3 - आप किस आधार पर इस नतीजे पर पहुंचे कि सिंडिकेट बैंक से जुड़ी शिकायतों का कोई आधार नहीं था?

4 - क्या आपके लिए पद पर बने रहना उचित होगा, ख़ासकर जब दिल्ली पुलिस सीधे केंद्र सरकार को रिपोर्ट करती है?

5 - जांच को भटकाने की कोशिश में आपका क्या हित है और अगली एजीएम में क्या आपने इसकी जानकारी दी थी?

 

आप की ओर से पेश जेटली के कथित पत्र 

 

 

 

 

 

 

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