जम्मू-कश्मीर की सियासत में फिर से उबाल है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी पीडीपी ने नैशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के समर्थन से नई सरकार बनाने का दावा पेश किया, जिसके कुछ समय बाद राज्यपाल ने विधानसभा ही भंग कर दी। राज्यपाल के इस फैसले की कई पार्टियां आलोचना कर रही हैं। इस बीच राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राज्य विधानसभा को तत्काल प्रभाव से भंग करने के पीछे चार प्रमुख वजहें गिनाईं।
विधानसभा भंग करने के बाद राज भवन ने देर रात एक बयान जारी कर इस पर राज्यपाल का रुख स्पष्ट किया है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बयान में कहा गया है कि राज्यपाल ने चार अहम कारणों से तत्काल प्रभाव से विधानसभा भंग करने का निर्णय लिया, जिनमें ‘‘व्यापक खरीद फरोख्त’’ की आशंका और ‘‘विरोधी राजनीतिक विचारधाराओं वाली पार्टियों के साथ आने से स्थिर सरकार बनना असंभव’’ जैसी बातें शामिल हैं।
राजभवन ने बाद में एक बयान में कहा,‘‘ राज्यपाल ने यह निर्णय अनेक सूत्रों के हवाले से प्राप्त सामग्री के आधार पर लिया।’’
बयान में चार अहम कारणों में से मुख्य कारण का जिक्र करते हुए कहा गया है, ‘‘ विरोधी राजनीतिक विचारधाराओं वाली पार्टियों के साथ आने से स्थाई सरकार बनना असंभव है। इनमें से कुछ पार्टियों तो विधानसभा भंग करने की मांग भी करती रही थीं।
इसके अलावा पिछले कुछ वर्ष का अनुभव यह बताता है कि खंडित जनादेश से स्थाई सरकार बनाना संभव नहीं है। ऐसी पार्टियों का साथ आना जिम्मेदार सरकार बनाने के बजाय सत्ता हासिल करने का प्रयास है।’’
बयान में आगे कहा गया, ‘‘व्यापक खरीद फरोख्त होने और सरकार बनाने के लिए बेहद अलग राजनीतिक विचारधाराओं के विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए धन के लेन देन होने की आशंका की रिपोर्टें हैं। ऐसी गतिविधियां लोकतंत्र के लिए हानिकार हैं और राजनीतिक प्रक्रिया को दूषित करती हैं।’’
इसमें तीसरा कारण बताया गया है कि बहुमत के लिए अलग अलग दावें हैं वहां ऐसी व्यवस्था की उम्र कितनी लंबी होगी इस पर भी संदेह है।’
इसमें कहा गया, ‘‘जम्मू कश्मीर की नाजुक सुरक्षा व्यवस्था जहां सुरक्षा बलों के लिए स्थाई और सहयोगात्मक माहौल की जरूरत है। ये बल आतंकवाद विरोधी अभियानों में लगे हुए हैं और अंतत: सुरक्षा स्थिति पर नियंत्रण पा रहे हैं।’’