कांग्रेस के दिग्गज नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के कथित सोशल मीडिया पर क्लब हाउस चैट के एक ऑडियो, जिसमें दिग्विजय सिंह जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाने के फैसले पर टिप्पणी कर रहे हैं, पर अब जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा है, “मैं दिग्विजय सिंह का बहुत आभारी हूं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों की भावनाओं को महसूस किया है। मैं इसका तहे दिल से स्वागत करता हूं और उम्मीद करता हूं कि सरकार इस पर दोबारा गौर करेगी।“
वहीं, भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने क्लब हाउस चैट का एक हिस्सा ट्विटर पर शेयर करते हुए दिग्विजय सिंह पर हमला बोला है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है, ''क्लब हाउस चैट में, राहुल गांधी के शीर्ष सहयोगी दिग्विजय सिंह एक पाकिस्तानी पत्रकार से कहते हैं कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो वे अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले पर पुनर्विचार करेंगे। वास्तव में? यही तो पाकिस्तान चाहता है...।'' गिरिराज सिंह ने भी दिग्विजय सिंह के क्लब हाउस चैट मामले पर घेरा है। उन्होंने कहा है, ''कांग्रेस का पहला प्यार पाकिस्तान है। दिग्विजय सिंह ने राहुल गांधी का संदेश पाकिस्तान तक पहुंचाया है। कांग्रेस कश्मीर को हथियाने में पाकिस्तान की मदद करेगी।''
दिग्विजय सिंह के कथित आडियो में दावा किया गया है कि अगर कांग्रेस सरकार सत्ता में आई तो इस फैसले को लेकर फिर से विचार किया जाएगा और धारा-370 लागू करेंगे। इस आडियो के लीक होने के बाद भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने दिग्विजय सिंह को निशाने पर लिया है। दरअसल, दिग्विजय सिंह देश-विदेश के कुछ पत्रकारों से वर्चुअली बात कर रहे थे। इस बीच शाहजेब जिल्लानी ने धारा-370 से जुड़ा का प्रश्न पुछा। दावा है कि वह शाहजेब जिल्लानी एक पाकिस्तानी पत्रकार है। जिसने सवाल किया कि जब मौजूदा सरकार जाती है और भारत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद दूसरा पीएम मिल जाए तो कश्मीर पर आगे का रास्ता क्या होगा?
पत्रकार के सवालों के जवाब में दिग्विजय सिंह कहते सुनाई दे रहे हैं कि जब उन्होंने कश्मीर में धारा-370 हटाया तो वहां लोकतंत्र नहीं था। वहां इंसानियत भी नहीं थी, क्योंकि सभी को जेल में बंद कर दिया गया था। कश्मीरियत वहां के सेल्युलरिज्म का हिस्सा है, क्योंकि मुस्लिम बहुल राज्य का राजा हिंदू था और दोनों के साथ मिलकर काम किया करता था। यहां तक कि कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को सरकारी नौकरी में आरक्षण दिया गया था। ऐसे में अनुच्छेद-370 को हटाने का फैसला बेहद दुखद था और कांग्रेस जब सत्ता में आएगी तो 370 हटाने के फैसले पर फिर से विचार करेगी।