आने वाले लोकसभा चुनावों के लिए झारखंड में विपक्षी पार्टियों ने एकजुट होकर लड़ने का फैसला किया है। राज्य कांग्रेस ने इसकी जानकारी दी और बताया कि सीटों के बंटवारे का फैसला बाद में होगा।
कांग्रेस सहित झारखंड की चार विपक्षी प्रमुख पार्टियों, झारखंड मुक्ति मोर्चा, झारखंड विकास मोर्चा और राष्ट्रीय आरजेडी ने यह महागठबंधन बनाया है।
समाचार एजेंसी आइएएनएस के मुताबिक राज्य कांग्रेस के प्रवक्ता किशोर सहदेव ने बताया कि चारों पार्टियों के बीच पहले दौर की बातचीत दिल्ली में हुई थी, जिसमें सैधांतिक रूप से चारों पार्टियों ने मिलकर चुनाव लड़ने पर सहमति जता दी है। दूसरे चरण की बातचीत इसी महीने के अंतिम सप्ताह में दिल्ली में होगी जिसमें सीटों के बंटवारें पर फैसला लिया जाएगा।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के सचिव सुप्रियो भट्टाचार्य के अनुसार ‘भाजपा को हराने के लिए हमने लोकसभा चुनाव साथ लड़ने का फैसला किया है।‘
“गठबंधन का सफल-असफल प्रयोग”
कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने साल 2004 में पहली बार एकजुट होकर लोकसभा चुनाव लड़ा था, तब उसे 14 में से 13 सीटों पर जीत हासिल हुई थी लेकिन पिछले लोकसभा में यह प्रदर्शन न दोहराया जा सका। 2014 में कांग्रेस ने आरजेडी और जेएमएम के साथ मिलकर भाजपा को चुनौती देने की कोशिश की थी। भाजपा को पिछले लोकसभा चुनाव में 14 में से 12 सीटें मिली।
इसके अलावा खबर है कि लेफ्ट पार्टियों ने भी इस महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई है और इसके लिए उन्होंने कांग्रेस पार्टी से संपर्क भी साधा है।
“विधानसभा के लिए भी हो गठबंधन”
झारखंड विकास मोर्चा इस समय राज्य में सबसे प्रमुख विपक्षी दल है। विधानसभा में उसकी 18 सीटें हैं। इसे देखते हुए पार्टी का मानना है कि यह गठबंधन न सिर्फ लोकसभा चुनावों तक सीमित रहे बल्कि इससे भी आगे जाकर विधानसभा चुनाव लड़े जिसमें पार्टी के सर्वेसर्वा और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनाए।