कांग्रेस के कद्दावर नेता और राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले जितिन प्रसाद के बीजेपी में शामिल होने के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत में गर्माहट बढ़ गई है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की मौजूदगी में 9 जून को पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। इसे यूपी के मिशन 2022 की तैयारियों में लगी कांग्रेस के लिए करारा झटका की तरह माना जा रहा है। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वाले जितिन प्रसाद पहले ऐसे नेता नहीं हैं। उनसे पहले भी कई दिग्गज हाथ का साथ छोड़कर कमल का दामन थाम चुके हैं। वहीं कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के यूपी में सक्रिय होने के बाद भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का पार्टी छोड़ने का सिलसिला जारी है।
जगदंबिका पाल
यूपी के एक दिन के मुख्यमंत्री रहे दिग्गज नेता जगदंबिका पाल साल 2014 में बीजेपी में शामिल हो गए थे। वह कांग्रेस में अपनी अनदेखी से खफा थे। माना जाता है कि कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में शामिल जगदंबिका पाल यूपीए-2 सरकार में वरिष्ठता के आधार पर मंत्री पद के दावेदार थे, जो उन्हें नहीं मिला। कांग्रेस में इसी उपेक्षा के चलते उन्होंने भाजपा में जाने का निर्णय लिया था।
रीता बहुगुणा जोशी
इलाहाबाद से लोकसभा सदस्य रीता बहुगुणा जोशी भी साल 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ज्वाइन कर ली थीं। भाजपा ने पार्टी में शामिल होने के बाद लखनऊ में उसी विधानसभा सीट से उन्हें टिकट दिया, जहां से वह कांग्रेस की विधायक थीं। वहीं रीता ने दोबारा चुनाव जीता और कैबिनेट मंत्री बनीं। इसके बाद पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव में उतारा।
राजकुमारी रत्ना सिंह
पूर्व विदेश मंत्री दिनेश सिंह की बेटी राजकुमारी रत्ना सिंह ने भी 2019 लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा का दामन थाम लिया था। वह प्रतापगढ़ सीट से तीन बार कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुनी गई थीं। हालांकि, अपने इस निर्णय के पीछे कोई वजह उन्होंने नहीं बताई थी।
संजय सिंह और अमिता सिंह
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के खास रहे अमेठी के पूर्व सांसद और पूर्व मंत्री संजय सिंह भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। सियासी गलियारों में चर्चा रही है कि वह अपनी राज्यसभा सीट बचाने के लिए भाजपा में गए थे। संजय सिंह के साथ उनकी पत्नी अमिता सिंह भी भाजपा में शामिल हुई थीं।
भुवनेश्वर कलीता
कांग्रेस के दिग्गज नेता और राज्यसभा सांसद भुवनेश्वर कलीता भी वर्ष 2019 में भाजपा में शामिल हो गए थे। दरअसल, कलीता अनुच्छेद 370 को लेकर कांग्रेस के रुख से सहमत नहीं थे। ऐसे में उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस खुदकुशी कर रही है।