कांग्रेस ने सोमवार को दावा किया कि उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति और भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) अडाणी समूह के लेनदेन से जुड़ी जांच करते समय ऐसे बिंदु पर पहुंच गए जहां से वह आगे नहीं बढ़ सकते थे।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि इस मामले की सच्चाई सामने लाने के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन जरूरी है।
रमेश ने एक खबर का हवाला दिया जिसमें दावा किया गया है कि कंपनी पंजीयक (गुजरात) ने हाल ही में कहा था कि अडाणी पावर और इसके अधिकारियों ने संबंधित पक्षों के साथ अनुबंध और लेनदेन की जानकारी नहीं देकर कंपनी अधिनियम, 2013 का उल्लंघन किया है।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘जैसे कि ‘मोदानी ब्रिगेड’ ने उच्चतम न्यायालय की समिति की रिपोर्ट को क्लीन चिट बताने की कोशिश की, उसी क्रम में अब और सबूत सामने आ गए हैं।’’
रमेश ने दावा किया कि जांच करते हुए उच्चतम न्यायालय की समिति और सेबी भी ऐसे बिंदु पर पहुंच गए जहां से वे आगे नहीं बढ़ सकते थे, ऐसे में इस ‘महाघोटाले’ की सच्चाई सामने लाने के लिए जेपीसी द्वारा जांच जरूरी है।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय की एक विशेषज्ञ समिति ने पिछले दिनों कहा कि वह अडाणी समूह के शेयरों में हुई तेजी को लेकर किसी तरह की नियामकीय विफलता का निष्कर्ष नहीं निकाल सकती है।
समिति ने यह भी कहा कि सेबी विदेशी संस्थाओं से धन प्रवाह के कथित उल्लंघन की अपनी जांच में कोई सबूत नहीं जुटा सकी है।
छह सदस्यीय समिति ने हालांकि कहा कि अमेरिका की वित्तीय शोध और निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से पहले अडाणी समूह के शेयरों में ‘शॉर्ट पोजीशन’ (भाव गिरने पर मुनाफा कमाना) बनाने का एक सबूत था और हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद भाव गिरने पर इन सौदों में मुनाफा दर्ज किया गया।