मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को पद से हटाने के लिए कई कांग्रेसी अपने स्तर पर लगातार प्रयास कर रहे है। दिग्विजय सिंह भी कमलनाथ के कई फैसलों पर सार्वजनिक रूप से नाराजगी जता चुके है। इसके बावजूद कमलनाथ सभी पर भारी पड़ते नजर आ रहे है। प्रदेश से उठ रही इस तरह की मांग के बावजूद पार्टी आलाकमान कमलनाथ को किसी एक पद से भी नहीं हटा पा रहा है।
कमलनाथ मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और विधान सभा नेता प्रतिपक्ष है। मुख्यमंत्री के दौरान भी उनके पास अध्यक्ष पद बना हुआ था। कांग्रेस को उनके कार्यकाल में लगातार हार का सामना करने पड़ रहा है। सरकार गिर गई, लोक सभा चुनाव में करारी हार हुई और उपचुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा। इन सब के बावजूद कमलनाथ अध्यक्ष पद पर बने हुए है।
प्रदेश में कई वरिष्ठ नेता इस प्रयास में लगे हुए थे कि कमलनाथ को एक पद से हटा दिया जाये। उनकी कोशिश थी की प्रदेश अध्यक्ष किसी युवा नेता को बना दिया जाये या नेता प्रतिपक्ष का पद पर आलाकमान किसी और को बैठा दे किन्तु उनको सफलता नहीं मिल पा रही है। कांग्रेस आलाकमान इस बारे में कोई भी फैसला नहीं कर पा रहा है, जबकि उनके नेतृत्व में पार्टी लगातार चुनावों में हार रही है।
हाल में विधान सभा सत्र चलाने के मामले में पार्टी से अलग जाकर शिवराज सिंह का समर्थन करने के मामले को कांग्रेस ने गंभीरता से लिया था और उनको नेता प्रतिपक्ष पद से हटाने के प्रयास तेज हो गये। दिग्विजय सिंह ने सत्र न चलाने को लेकर भाजपा सरकार की आलोचना भी की थी। भाजपा की ओर से स्पष्ट कर दिया गया कि सर्वदलीय बैठक में उनके नेता ने इस बात पर सहमति जताई थी। इस तरह दिग्विजय सिंह अपने नेता के फैसले का ही विरोध कर रहे है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अहमद पटेल के जाने के बाद कांग्रेस आलाकमान के लिए कमलनाथ की जरूरत और बढ़ गई है। कांग्रेस नेतृत्व किसी भी रूप में कमलनाथ को नाराज नहीं करना चाहता है। यही वजह है कि वो उनकी इच्छा के विरुद्ध जाकर कोई फैसला नहीं कर रहा है। दूसरी और कमलनाथ ने स्पष्ट कर दिया है कि वे अभी राज्य में काम करते रहेंगे।