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बृज भूषण मामले पर प्रधानमंत्री चुप क्यों? हंगामे के बीच कपिल सिब्बल ने पूछे तीखे सवाल

डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों का मामला अभी भी शांत नहीं हुआ है।...
बृज भूषण मामले पर प्रधानमंत्री चुप क्यों? हंगामे के बीच कपिल सिब्बल ने पूछे तीखे सवाल

डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों का मामला अभी भी शांत नहीं हुआ है। अब इन आरोपों पर राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल की टिप्पणी सामने आई है। शनिवार को सिब्बल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'चुप्पी' पर सवाल उठाया है। कपिल सिब्बल ने पूछा, "क्या आरोपी उत्तर प्रदेश में चुनावी रूप से इतना महत्वपूर्ण है कि जांच पूरी होने तक उसे पद से नहीं हटाया जा सकता है।"

आपको याद दिला दें कि दिल्ली पुलिस द्वारा भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) प्रमुख सिंह के खिलाफ दर्ज मामलों के संबंध में सात महिला पहलवानों के बयान दर्ज किए गए थे। इसके ठीक एक दिन बाद अब सिब्बल ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है। वरिष्ठ वकील सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में पहलवानों का प्रतिनिधित्व किया।

सिब्बल ने अपने एक ट्वीट में कहा, "बृजभूषण, पुलिस से दो पहलवान, आरोप, सांस रोकने के बहाने छुआ...मेरा सवाल यह है कि,क्या वह यूपी चुनाव के लिए इतने अहम हैं कि उन्हें फेडरेशन के अध्यक्ष पद से तब तक नहीं हटाया जा सकता जब तक जांच खत्म नहीं हो जाए।" कपिल सिब्बल ने भाजपा के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नारे पर भी करारा प्रहार किया।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा,"आपके नारे के बारे में क्या है: 'बेटी बचाओ' प्रधानमंत्री, गृह मंत्री चुप क्यों हैं?" पुलिस की मानें तो डब्ल्यूएफआई प्रमुख सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 (महिला का शील भंग करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल प्रयोग), 354ए (यौन उत्पीड़न), और 354डी (पीछा करना) के तहत मामला दर्ज किया गया था, जबकि दूसरा मामला पॉक्सो एक्ट की धारा 10 के तहत दर्ज किया गया था।

गौरतलब है कि 28 अप्रैल को दिल्ली पुलिस ने WFI प्रमुख के खिलाफ महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों के संबंध में दो प्राथमिकी दर्ज की। जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे पहलवानों की मांग है कि, सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच करने वाले एक निरीक्षण पैनल के निष्कर्षों को सरकार सार्वजनिक करे। पहलवानों का कहना है कि, जबतक सिंह को गिरफ्तार नहीं किया जाता, वे विरोध स्थल नहीं छोड़ेंगे।

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