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सिब्बल ने महाराष्ट्र ट्रेन गोलीबारी, हरियाणा व मणिपुर में हिंसा को लेकर भाजपा पर कसा तंज, कहा- 'क्या यही थे अच्छे दिन'

राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा और महाराष्ट्र ट्रेन फायरिंग घटना,...
सिब्बल ने महाराष्ट्र ट्रेन गोलीबारी, हरियाणा व मणिपुर में हिंसा को लेकर भाजपा पर कसा तंज, कहा- 'क्या यही थे अच्छे दिन'

राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा और महाराष्ट्र ट्रेन फायरिंग घटना, हरियाणा के दंगे, मणिपुर की हिंसा का ज़िक्र करते हुए पूछा कि क्या यह वही "अच्छे दिन" हैं, जिनका वादा किया था।

वरिष्ठ अधिवक्ता और सांसद कपिल सिब्बल पहले भी कई बार मणिपुर के मुद्दे पर भाजपा सरकार और पीएम मोदी पर निशाना साधते दिखे हैं। इस बार तीन राज्यों की घटनाओं का हवाला देकर उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं के लिए नफ़रत की राजनीति ज़िम्मेदार है।

सिब्बल ने एक ट्वीट में कहा, "नफरत की राजनीति! जयपुर-मुंबई सेंट्रल सुपरफास्ट एक्सप्रेस में आरपीएफ जवान द्वारा चार लोगों की हत्या। पीड़ितों की पहचान धर्म के आधार पर की गई। दुकानें, मस्जिद जला दी गईं; नूंह में नायब इमाम के अलावा चार अन्य की हत्या कर दी गई। पुलिस ने कथित तौर पर मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हिंसा में सहयोग किया। अच्छे दिन?"



आपको बता दें कि आरपीएफ कांस्टेबल चेतन सिंह (33) ने कथित तौर पर मुंबई के पालघर स्टेशन के पास अपने वरिष्ठ सहायक उप-निरीक्षक टीकाराम मीना और तीन यात्रियों - अब्दुल कादरभाई मोहम्मद हुसैन भानपुरवाला (58), असगर अब्बास शेख (48) और सैयद एस (43) की गोली मारकर हत्या कर दी।

वहीं, हरियाणा में, भीड़ ने एक मस्जिद पर देर रात हमले में एक मौलवी की हत्या कर दी, एक भोजनालय में आग लगा दी और दुकानों में तोड़फोड़ की। इससे पहले, हरियाणा के नूंह में शुरू हुई सांप्रदायिक हिंसा पड़ोसी गुरुग्राम में फैल गई। यहां अबतक 6 लोगों की मौत हो गई। सीएम खट्टर ने बताया कि 116 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

गौरतलब है कि मणिपुर में दो महीने से अधिक समय तक हिंसा देखी गई, जो 3 मई को अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में आयोजित 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के बाद भड़क गई, जिसमें तब से 160 से अधिक लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हो गए।

बता दें कि सिब्बल यूपीए सरकार के दौरान केंद्रीय मंत्री रहे थे। हालांकि, उन्होंने पिछले साल मई में कांग्रेस छोड़ दी थी और समाजवादी पार्टी के समर्थन से एक स्वतंत्र सदस्य के रूप में राज्यसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने अन्याय से लड़ने के उद्देश्य से एक गैर-चुनावी मंच 'इंसाफ' बनाया है।

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