कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आर्थिक विकास दर और रोजगार सृजन से जुड़े कुछ आंकड़ों का हवाला देते हुए मंगलवार को आरोप लगाया कि युवाओं को बेरोज़गार बनाए रखना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का एकमात्र मिशन है।
खड़गे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘मोदी सरकार, भले ही बेरोज़गारी पर सिटी ग्रुप जैसी स्वतंत्र आर्थिक रिपोर्टों को नकार रही हो, पर सरकारी आंकड़ों को कैसे नकारेगी? सच ये है कि पिछले 10 साल में करोड़ों युवाओं के सपनों को चकनाचूर करने की ज़िम्मेदार केवल मोदी सरकार पर है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ ताज़ा आंकड़े इस प्रकार हैं। एनएसएसओ (राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय) के सर्वेक्षण के मुताबिक विनिर्माण क्षेत्र में अनिगमित इकाइयों में सात वर्षों में 54 लाख नौकरियां ख़त्म हो गई हैं। वर्ष 2010-11 में पूरे भारत में 10.8 करोड़ कर्मचारी अनिगमित गैर-कृषि उद्यमों में कार्यरत थे, जो अब 2022-23 में 10.96 करोड़ हो गए हैं, यानी 12 वर्षों में केवल 16 लाख़ की मामूली वृद्धि है।’’
उनके अनुसार, ‘‘ ताज़ा आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) में कहा गया है कि शहरी बेरोज़गारी दर 6.7 प्रतिशत है। मोदी सरकार कर्मचारी भविष्य निधि का डाटा दिखाकर औपचारिक इकाइयों में रोज़गार सृजन का ढ़ोल पीटती है, पर अगर हम वो डाटा सच भी मान लें तो भी 2023 में उसमें नई नौकरियों में 10 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।’’
खड़गे ने कहा कि ‘सिटीग्रुप’ की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, देश में सालाना 1.2 करोड़ नौकरियों की ज़रुरत है, और सात प्रतिशत जीडीपी वृद्धि दर भी युवाओं के लिए पर्याप्त नौकरियां पैदा नहीं कर पायेगी, जबकि मोदी सरकार के तहत देश में औसतन केवल 5.8 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर है।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘सरकारी नौकरियां हों या निजी क्षेत्र, स्वरोज़गार हो या असंगठित क्षेत्र - मोदी सरकार का एक ही मिशन है— युवाओं को बेरोज़गार बनाए रखना।’’