दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय से कहा है कि वह धनशोधन मामले में हिरासत में रहने के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा आदेश पारित करने के मुद्दे पर विशेष न्यायाधीश को ब्यौरा सौंपे।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनप्रीत पी एस अरोड़ा की पीठ ने कहा कि धनशोधन मामले को देख रहे विशेष न्यायाधीश को निर्देश दिया जाता है कि अगर जरूरी है तो मामले पर कानून के तहत आदेश जारी करें। धनशोधन के इस मामले में ही केजरीवाल गिरफ्तार हुए हैं।
अदालत ने उस जनहित याचिका का निपटारा कर दिया जिसमें केजरीवाल को ईडी की हिरासत में रहते हुए मुख्यमंत्री के तौर पर आदेश जारी करने से रोकने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
सुनवाई के दौरान ईडी के वकील ने कहा कि एजेंसी को याचिका में उठाए गए मुद्दे की जानकारी है।
ईडी ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वह केजरीवाल के हिरासत में रहने के दौरान मुख्यमंत्री की हैसियत से आदेश पारित करने के लिए उन्हें कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करा रहा है।
केजरीवाल का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने याचिका का जोरदार विरोध किया। उन्होंने कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और ईडी इस मामले से निपटने में सक्षम है।
याचिकाकर्ता सुरजीत सिंह यादव ने जनहित याचिका में कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में केजरीवाल द्वारा इस तरह के आदेश जारी करना कानूनी ढांचे के साथ-साथ निष्पक्ष और उचित जांच के सिद्धांत के खिलाफ है।
याचिका में ईडी को यह निर्देश देने का आग्रह किया गया था कि वह केजरीवाल को टाइपिस्ट, कंप्यूटर और प्रिंटर आदि उपलब्ध नहीं कराए।
संघीय जांच एजेंसी ने दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में 21 मार्च को केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। एक निचली अदालत ने केजरीवाल को 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।