कर्नाटक में सत्ता के लिए जारी हाई वोल्टेज ड्रामा अपने चरम पर है। अब कर्नाटक कांग्रेस के डीके शिवकुमार, जेडीएस विधायक शिवलिंगे गौड़ा और कुछ अन्य कांग्रेस नेता राज्य सरकार पर आए संकट को खत्म करने के लिए नाराज कांग्रेस विधायकों से मिलने मुंबई पहुंचे। लेकिन मुंबई पुलिस ने कर्नाटक के मंत्री डीके शिवकुमार को रेनिसन्स मुंबई कन्वेंशन सेंटर होटल से दूर कर दिया जहां पर 10 कांग्रेस विधायक ठहरे हुए हैं। कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार को होटल के अंदर जाने की अनुमति नहीं है। होटल के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है और होटल के आसपास के इलाके में धारा 144 लगा दी गई है। दरअसल, कांग्रेस, जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) और दो निर्दलीय विधायकों ने मुंबई पुलिस कमिश्नर को चिट्ठी लिखकर सुरक्षा की मांग की थी।
रद्द कर दी गई शिवकुमार की बुकिंग
शिवकुमार ने कहा कि इस रिजॉर्ट में मेरी बुकिंग है, लेकिन पुलिस मुझे अंदर नहीं घुसने दे रही है। कांग्रेस नेता बोले कि यहां की पुलिस महाराष्ट्र सरकार के दबाव में काम कर रही है। लेकिन बुधवार सुबह ही होटल की तरफ से बयान जारी किया गया कि शिवकुमार का होटल रिजर्वेशन कैंसिल कर दिया गया है। इसके पीछे होटल में इमरजेंसी को कारण बताया गया है।
डीके शिवकुमार ने कहा कि मैं यहां पर अकेला आया हूं, मुझे किसी के सपोर्ट की ज़रूरत नहीं है। हर कोई जानता है कि इसके पीछे बीजेपी है, लेकिन बीजेपी के लिए भी वह अकेले ही काफी हैं। उन्होंने कहा कि सभी विधायक मेरे संपर्क में हैं, लेकिन मैं इस बारे में बेंगलुरु में ही बात करूंगा।
विधायकों ने मांगी थी सुरक्षा
कांग्रेस, जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) और दो निर्दलीय विधायकों ने मुंबई पुलिस कमिश्नर को चिट्ठी लिखकर सुरक्षा की मांग की थी। इन विधायकों ने चिट्ठी में लिखा कि उन्होंने सुना है कि एच डी कुमारस्वामी और डी के शिवकुमार होटल पर धावा बोलने वाले हैं, हम डर लग रहा है। कृपया उन्हें होटल में ना घुसने दिया जाए। इस चिट्ठी के बाद होटल के बाहर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। लिहाजा कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार को होटल के अंदर जाने की अनुमति नहीं है।
बता दें कि कर्नाटक विधानसभा से इस्तीफा देने के बाद तीन दिन पहले ये विधायक मुंबई के होटल में ही डेरा डाले हुए हैं। कर्नाटक कांग्रेस के विधायक बी सी पाटिल की ओर से यह पुष्टि इन अटकलों के बाद आई कि विधायकों को पश्चिमी महाराष्ट्र में सतारा के पास रोककर रखा गया है। पाटिल ने बताया कि वह और अन्य विधायक अब भी मुंबई में हैं।
जिन विधायकों ने पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं उनमें शिवराम हेब्बर, प्रताप गौड़ा पाटिल, बीसी पाटिल, एसटी सोमशेखर, रमेश जारकीहोली, बृती बसवराज, गोपालैया, एच विश्वनाथ, नारायण गौड़ा, और महेश कुमुतली हैं।
शिवकुमार पहुंचे मुंबई, होटल के बाहर सुरक्षा सख्त
कर्नाटक के कांग्रेस मंत्री डीके शिवकुमार और जद(एस) के विधायक शिवालिंग गौड़ा बुधवार को राज्य में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच बागी विधायकों से मिलने के लिए बेंगलुरु से विशेष उड़ान से मुंबई पहुंचे। वहीं मुंबई के पवई में होटल रेनेसां के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है, जहां 10 असंतुष्ट कर्नाटक कांग्रेस-जद (एस) के विधायक रह रहे हैं। महाराष्ट्र राज्य रिजर्व पुलिस बल और दंगा नियंत्रण पुलिस को होटल के बाहर तैनात किया गया है।
‘राजनीति में एक साथ पैदा हुए थे, एक साथ मरेंगे’
अपनी यात्रा से पहले होटल के बाहर तैनात भारी सुरक्षा के बारे में पूछे जाने पर, शिवकुमार ने एएनआई को बताया, "मुंबई पुलिस या किसी अन्य बल को तैनात किया जाए। उन्हें अपनी ड्यूटी करने दें। हम अपने दोस्तों से मिलने आए हैं। हम राजनीति में एक साथ पैदा हुए थे। , हम राजनीति में एक साथ मरेंगे। वे हमारी पार्टी के आदमी हैं। हम उनसे मिलने आए हैं।''
डीके शिवकुमार को होटल के अंदर जाने की अनुमति नहीं
इस बीच, मुंबई पुलिस ने कहा कि "कर्नाटक के मंत्री डीके शिवकुमार को उस होटल के अंदर जाने की अनुमति नहीं होगी, जहां 10 बागी कर्नाटक कांग्रेस-जद (एस) के विधायक रह रहे हैं"। हालांकि पुलिस ने कहा कि उन्हें होटल के द्वार से पहले नहीं रोका जाएगा ।
क्या है मामला?
पिछले महीने विधानसभा की सदस्यता से 11 विधायकों के इस्तीफे के बाद 13 महीने पुरानी कांग्रेस-जद (एस) सरकार संकट में आ गई थी। कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन अपनी सरकार की रक्षा के लिए तमाम कोशिशें कर रहा है, जिससे लगता है कि बहुमत कम हो गया है।
मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने भी दावा किया है कि वे संकट को दूर करेंगे। दोनों दलों के सभी मंत्रियों ने असंतुष्ट विधायकों को समायोजित करने के लिए राज्य मंत्रिमंडल के पुनर्गठन के लिए मार्ग प्रशस्त किया है। कर्नाटक में कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन सरकार को गिराने के लिए कांग्रेस पार्टी लगातार भाजपा पर आरोप लगाती रही है।
हालांकि, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में अपने जवाब में कहा कि उनकी पार्टी संसदीय लोकतंत्र के लिए प्रतिबद्ध है और इसका कर्नाटक के घटनाक्रमों से कोई संबंध नहीं है।