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लखीमपुर हिंसा के विरोध में आज महा विकास अघाड़ी का 'महाराष्ट्र बंद', शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस ने की ये अपील

महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के तीनों सहयोगियों ने लोगों से अपील की है कि वे उत्तर...
लखीमपुर हिंसा के विरोध में आज महा विकास अघाड़ी का 'महाराष्ट्र बंद', शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस ने की ये अपील

महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के तीनों सहयोगियों ने लोगों से अपील की है कि वे उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में चार किसानों की हत्या के विरोध में सोमवार के राज्यव्यापी बंद का पूरे दिल से समर्थन करें। सत्ताधारी सहयोगी शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस ने बंद का आह्वान किया है।


राज्यव्यापी बंद दोपहर 12 बजे से शुरू होगा। राकांपा प्रवक्ता और राज्य मंत्री नवाब मलिक ने रविवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के कार्यकर्ता बंद में पूरे दिल से भाग लेने और किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त करने की अपील के साथ नागरिकों से मिल रहे हैं।

उन्होंने कहा, "भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने तीन नए कृषि कानूनों के माध्यम से कृषि उपज की लूट की अनुमति दी है और अब उसके मंत्री के परिजन किसानों की हत्या कर रहे हैं। हमें किसानों के साथ एकजुटता दिखानी होगी।"

एनसीपी नेता ने कहा कि एमवीए की मांग है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त किया जाए। उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ही मंत्री के बेटे को गिरफ्तार किया गया।"

केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा को पुलिस ने शनिवार रात लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हुई हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। उन आरोपों के बाद एक प्राथमिकी में उनका नाम लिया गया था कि वह उन वाहनों में से एक में थे जिन्होंने पिछले रविवार को यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा का विरोध कर रहे चार किसानों को कुचल दिया था।

इस बीच, महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ता और नेता अपना विरोध दर्ज कराने के लिए मुंबई में राजभवन के बाहर मौन व्रत रखेंगे। उन्होंने कहा, "हम सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं और लोगों से बंद में भाग लेने और इसकी सफलता सुनिश्चित करने की अपील करते हैं।"

शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने शनिवार को कहा था कि उनकी पार्टी बंद में पूरी ताकत से हिस्सा लेगी। उन्होंने यह भी कहा था कि केंद्र सरकार की 'किसान विरोधी' नीतियों के खिलाफ लोगों को जगाना जरूरी है। सत्तारूढ़ तीनों सहयोगियों ने स्पष्ट कर दिया है कि बंद राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित नहीं था, बल्कि पार्टियों द्वारा बुलाया गया था।

वहीं किसान सभा ने बंद को समर्थन दिया है और कहा है कि राज्य के 21 जिलों में उसके कार्यकर्ता समान विचारधारा वाले संगठनों के साथ समन्वय कर रहे हैं ताकि बंद को अच्छी प्रतिक्रिया मिले।

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