माकपा महासचिव सीताराम येचुरी तथा अन्य नेताओं ने दिल्ली में एक रैली में सरकार पर देश के सामाजिक तानेबाने को नष्ट करने का आरोप लगाया और दलितों के खिलाफ अत्याचार की घटनाओं के खिलाफ व्यापक प्रदर्शन शुरू करने की चेतावनी दी। येचुरी ने रैली में कहा, प्रदर्शन सरकार को यह बताने के लिए है कि दलितों के खिलाफ गौरक्षा के नाम पर तेजी से अत्याचार के मामले बढ़े हैं। ऐसे मामलों के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, आप इन गोरक्षक समूहों पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगा रहे? आप दलितों को संविधान के अनुसार मिला समानता का अधिकार क्यों नहीं दे रहे? मोदी के मुझे मारो, लेकिन दलितों को नहीं मारो संबंधी बयान का जिक्र करते हुए येचुरी ने कहा कि केवल बयान देने से कुछ नहीं होगा। इसके बजाय प्रधानमंत्री को घोषित करना चाहिए कि अगर दलितों पर हमले होते हैं तो देश का कानून काम करेगा। लेकिन उन्होंने अभी तक आश्वासन नहीं दिया है।
राज्यसभा सदस्य ने दलितों को सशक्त बनाने की वकालत करते हुए कहा कि उन्हें पांच एकड़ कृषि भूमि आवंटित की जानी चाहिए ताकि वे आर्थिक रूप से सशक्त हों और मैला ढोने की कुप्रथा भी समाप्त होनी चाहिए। वाम दलों और दलित संगठनों के दलित स्वाभिमान संघर्ष के बैनर तले आयोजित रैली में येचुरी ने कहा कि यह दलितों के आत्म-सम्मान की लड़ाई है। गुजरात के ऊना में दलितों की पिटाई के बाद दलित अत्याचार लड़ाई समिति बनाने वाले जिग्नेश मेवानी ने रैली में भाग लेते हुए येचुरी की बात का समर्थन किया और कहा कि उनका मोर्चा समुदाय के सदस्यों की आत्म-सम्मान की लड़ाई लड़ेगा। रैली को भाकपा महासचिव सुधाकर रेड्डी, पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डी राजा और बीआरपी-बहुजन महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने भी संबोधित किया। रैली में हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के शोधछात्र रोहित वेमुला की मां राधिका एवं अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे।