22 विधायकों के इस्तीफे से अल्पमत में आई मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार आखिरकार गिर गई है। शुक्रवार को फ्लोर टेस्ट में जाने से पहले ही कमलनाथ ने अपने इस्तीफे के घोषणा कर दी। उन्होंने अपना त्याग पत्र राज्यपाल लालजी टंडन को सौंप दिया है। लिहाजा मध्य प्रदेश की राजनीति में अब भाजपा के लिए सरकार बनाने का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने दो दिनों तक चली सुनवाई के बाद कमलनाथ सरकार को शुक्रवार को शाम 5 बजे तक फ्लोर टेस्ट के आदेश दिए थे। लेकिन कमलनाथ ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस दौरान कमलनाथ ने कहा कि भाजपा ने 22 विधायकों को बंधक बनाया। एक महाराज और उनके 22 साथियों के साथ मिलकर भाजपा ने साजिश रची। बीजेपी की ओर से जनता के साथ विश्वासघात किया गया और लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की गई, जनता इन्हें कभी माफ नहीं करेगी।
प्रेस कॉन्फ्रेस को संबोधित करते हुए कमलनाथ ने अपने इस्तीफे का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार आने के बाद हमारा उद्देश्य था कि प्रदेश की तकदीर बदले। मैंने हमेशा विकास में विश्वास रखा। मेरा क्या कसूर था। प्रदेश को सही रास्ते में लाने के लिए मुझे जनता ने पांच साल का मौका दिया था। 15 महीने तक हमारी सरकार पर किसी तरह के भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे।
उन्होंने आगे कहा कि भाजपा को 15 साल मिले और मुझे 15 महीने। राज्य की जनता इसकी गवाह है। लेकिन भाजपा हमेशा हमारे खिलाफ साजिश करती रही। फिर भी हमने अपना कार्या जारी रखा। लेकिन अब भाजपा ने लोकतंत्र की हत्या की। 22 विधायकों को प्रलोभन देकर बेंगलुरु में बंधक बनाया गया। करोड़ों रूपये का खेल खेला गया। प्रदेश की जनता के साथ धोखा करने वालों को जनता माफ नहीं करेगी।
‘भाजपा साजिश रचती रही...’
कमलनाथ ने कहा, ‘‘11 दिसंबर 2018 को मध्यप्रदेश विधानसभा का नतीजा आया। मेरे 40 साल के राजनीतिक जीवन में मैंने हमेशा विकास में विश्वास रखा है। प्रदेश का हर नागरिक गवाह है कि भाजपा को प्रदेशहित में किए गए मेरे काम रास नहीं आए। बौखलाहट में वे मेरे खिलाफ साजिश करते रहे। आप सब जानते हैं कि महीनेभर में जब हमारी सरकार बनी थी तो हर 15 दिन में भाजपा नेता कहते थे कि ये सरकार पंद्रह दिन-महीनेभर की सरकार है।’’
‘एक महराज और 22 विधायकों को जनता नहीं करेगी माफ’
उन्होंने कहा, ‘‘आज हमारे 22 विधायकों को प्रलोभन देकर बंधक बनाने का काम किया है। करोड़ों रुपए खर्चकर प्रलोभन का खेल खेला गया। आज पूरा प्रदेश इसका गवाह है। एक महाराज और उनके द्वारा प्रोत्साहित 22 लोभियों के साथ मिलकर भाजपा ने लोकतंत्र की हत्या की है। प्रदेश की जनता के साथ धोखा करने वाले इन लोभियों और बागियों को जनता कभी माफ नहीं करेगी।’’
कमलनाथ ने राज्यपाल को सौंपा त्यागपत्र
विधायकों का इस्तीफा मंजूर और बदला समीकरण
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कुछ ही घंटों बाद मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने कांग्रेस के बाकी बचे हुए सभी 16 बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए। इससे पहले प्रजापति कांग्रेस के छह बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर चुके थे। इससे कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई। जबकि इससे पहले वे किसी तरह बागी विधायकों को मनाने के लिए कवायद में लगे हुए थे। कमलनाथ सहित अन्य कांग्रेस नेता दावा कर रहे थे कि यदि बागी विधायकों से मुलाकात करने का मौका दिया जाता है तो वह उन्हें अपने पक्ष में कर लेंगे। लिहाजा खुद दिग्विजय सिंह बेंगलुरु पहुंचे थे, मगर उनकी मुलाकात नहीं हो पाई थी। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा विधानसभा स्पीकर को गुरुवार को फटकार लगाई गई। स्पीकर ने मात्र 6 विधायकों का इस्तीफा स्वीकारा था, जबकि 16 विधायकों का नहीं स्वीकारा था इसपर सुप्रीम कोर्ट खफा हुआ था। मगर देर शाम को विधानसभा स्पीकर ने सभी 16 विधायकों के इस्तीफे को भी स्वीकार कर लिया। बता दें कि कांग्रेस के एक प्रमुख चेहरे ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा इस्तीफा देने और भाजपा में शामिल होने के बाद 22 विधायकों ने अपना इस्तीफा दे दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश
राज्यपाल लालजी टंडन लगातार फ्लोर टेस्ट कराने की बात कह रहे थे लेकिन स्पीकर ने कोरोना वायरस का हवाला देते हुए 26 मार्च तक सदन की कार्रवाई स्थगित कर दी थी। इस फैसले को शिवराज सिंह चौहान समेत भाजपा विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को शाम पांच बजे तक फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, शुक्रवार के लिए मध्य प्रदेश विधानसभा की सूची में फ्लोर टेस्ट का उल्लेख किया गया। इसमें दोपहर 2 बजे फ्लोर टेस्ट की कही गई। मध्यप्रदेश विधानसभा के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह ने कहा, 'मध्य प्रदेश विधानसभा का विशेष सत्र 20 मार्च को दोपहर दो बजे बुलाया गया । ' उन्होंने कहा कि यह सत्र सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आज्ञा का पालन करते हुए बुलाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राज्य विधानसभा में शुक्रवार को होने वाले फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था। मगर अब फ्लोर टेस्ट से पहले ही कमलनाथ ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया।