मध्य प्रदेश में लंबे इंतजार के बाद मंत्रिमंडल विस्तार हो गया है। इसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक दो विधायकों को मंत्री बनाया गया है। मंत्रिमंडल में स्थान होने के बावजूद भाजपा के अन्य लोगों को स्थान नहीं मिल पाया है। इसके चलते कई दावेदारों में भारी असंतोष पैदा हो गया है।
राजभवन में नये मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह अयोजित किया गया। इसमें राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने सिंधिया समर्थक तुलसी राम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को मंत्री पद की शपत दिलाई। ये दोनों लोग पहले ही शिवराज मंत्रिमंडल में मंत्री थे किन्तु छह महीने तक विधायक न बन पाने के कारण त्यागपत्र देना पड़ा था। उपचुनाव के बाद जीत दर्ज करने के बाद इनको फिर से मंत्री बनाया गया है। सिंधिया की ओर से लगातार इनको मंत्री बनाये जाने के लिए दबाव बनाया जा रहा था।
दूसरी ओर मंत्रिमंडल में स्थान होने के बावजूद भाजपा की ओर से किसी अन्य विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया है। इसके चलते दावेदारों में काफी नाराजगी है। उपचुनाव में तीन मंत्रियों के हार जाने के बाद वो स्थान अभी भी खाली है। भाजपा के कई विधायक उन पदों के लिए दावेदारी कर रहे थे किन्तु किसी को मौका नहीं दिया गया।
जानकारों का मानना है कि दावेदारों की बड़ी संख्या के चलते पार्टी आम सहमति नहीं बना पाई है। शिवराज सिंह जिन लोगों को मंत्री बनाना चाह रहे थे उन्हें पार्टी संगठन नहीं चाहता था। पार्टी नये लोगों को मौका देना चाहती थी। भाजपा आलाकमान की ओर से भी नये लोगों को मौका देने का संकेत दिया गया था। इसके बावजूद शिवराज सिंह ने नये चेहरों को शामिल नहीं किया। उनका तर्क है कि नगर निगम चुनावों के बाद फिर से विस्तार कर शेष स्थानों को भरा जाये, जिससे निकाय चुनावों में पार्टी को आंतरिक विरोध का सामना नहीं करना पड़ेगा।