मध्यप्रदेश में विधानसभा उपाध्यक्ष के पद को लेकर सियासत तेज है। सत्तारूढ़ दल भाजपा में एक धड़ा परंपरा के अनुरूप उपाध्यक्ष का पद विपक्षी दल को देने के पक्ष में है, जबकि एक धड़ा उपाध्यक्ष का पद कांग्रेस की तरह ही अपने पास (भाजपा) रखने की बात कर रही है। इस धड़े का कहना है कि परंपरा कांग्रेस ने तोड़ी है, तो अब उसे जवाब भी दिया जाना चाहिए।
इस बीच मध्यप्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने आज कहा कि विधानसभा उपाध्यक्ष का पद मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को देने के पक्ष में नहीं हैं।
डॉ मिश्रा ने मीडिया से चर्चा के दौरान इस संबंध में सवाल किए जाने पर प्रतिप्रश्न किया कि ऐसा क्यों किया जाना चाहिए। जब कांग्रेस 15 सालों बाद 15 माह के लिए सत्ता में आयी, तब उसने तो विधानसभा उपाध्यक्ष का पद उस समय के विपक्षी दल भाजपा को नहीं दिया था। इस बारे में कांग्रेस का तर्क है कि तब अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ था। लेकिन वे कहना चाहते हैं कि उस समय कांग्रेस अल्पमत की सरकार थी और उसे बड़ा मन दिखाना चाहिए था।
मिश्रा ने कहा कि लेकिन कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया। वर्तमान में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है। और वे उपाध्यक्ष का पद कांग्रेस को देने के पक्ष में नहीं हैं।
विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव पिछले दिनों हुआ है और वरिष्ठ भाजपा विधायक गिरीश गौतम इस पद पर निर्विरोध तरीके से निर्वाचित हुए हैं। अब सभी की निगाहें उपाध्यक्ष पद पर टिकी हुयी हैं।