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दिल्ली में सोनिया से मिलीं महबूबा; यूपीए में शामिल होने की अटकलें, बोलीं- कांग्रेस से अब तक देश रहा सुरक्षित

पीडीपी अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को दिल्ली में कांग्रेस...
दिल्ली में सोनिया से मिलीं महबूबा; यूपीए में शामिल होने की अटकलें, बोलीं- कांग्रेस से अब तक देश रहा सुरक्षित

पीडीपी अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से उनके आवास पर मुलाकात की। यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है जब सोनिया गांधी के आवास पर तीन दिन में दूसरी बार फिर से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की एक अहम बैठक हुई। प्रशांत किशोर की कांग्रेस से नजदीकियों की खबर के बीच महबूबा का दिल्ली पहुंचना बेहद अहम कहा जा रहा है। मुलाकात के बाद अटकलें लगाई जाने लगी हैं कि मुफ्ती एक बार फिर से यूपीए का हिस्सा बन सकती हैं।

मुफ्ती ने कुछ समय सोनिया गांधी के साथ बिताया। समझा जाता है कि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के साथ देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेता ने कहा है कि यह कांग्रेस है जिसने अब तक देश को सुरक्षित रखा है, यह आरोप लगाते हुए कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अधिक पाकिस्तान बनाना चाहती है।

महबूबा मुफ्ती फिलहाल पीपल्स अलायंस फॉर गुप्कार डेक्लेरेशन (पीएजीडी)की सदस्य हैं। मुफ्ती ने कांग्रेस पार्टी के आमंत्रण पर दिल्ली में सोनिया से भेंट की है। इस बैठक के दिन ही दिल्ली में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी, पार्टी महासचिव केके वेणुगोपाल और मुकुल वासनिक और प्रशांत किशोर की भी एक लंबी बैठक हुई है। पीडीपी सूत्रों ने इस शिष्टाचार बैठक कहा है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में आगामी वक्त में होने वाले चुनाव के मद्देनजर इस मुलाकात के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। बता दें कि मुफ्ती 2016 में भाजपा के समर्थन से जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री बने, लेकिन दोनों अलग हो गए और गठबंधन सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई।

इससे पहले शनिवार को दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर आयोजित कांग्रेस पार्टी की बैठक करीब 4 घंटे तक चली थी। बैठक में प्रशांत किशोर ने अपने प्रजेंटेशन में कहा था कि कांग्रेस पार्टी को 370 सीटों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कांग्रेस को यूपी, बिहार और ओडिशा में अकेले लड़ने की सलाह दी थी। साथ ही पीके ने कहा था कि तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में कांग्रेस को गठबंधन में लड़ना चाहिए। प्रशांत किशोर की बातों पर राहुल गांधी ने भी सहमित जताई थी।

इस बार जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस की मुश्किलें ज्यादा हैं। पार्टी के बड़े नेता गुलाम नबी आजाद उस जी-23 समूह का हिस्सा हैं, जिसने गांधी परिवार के खिलाफ बगावत की है। वहीं राज्य में कांग्रेस के पास फिलहाल कोई ऐसा बड़ा चेहरा नहीं है, जिसके दम पर वो जम्मू संभाग में हिम्मत बांध सके। दूसरी ओर फारूक अब्दुल्ला की नैशनल कॉन्फ्रेंस की 370 हटने के बाद नरेंद्र मोदी से परोक्ष नजदीकियां भी कांग्रेस के लिए एक चुनौती है। गुलाम नबी आजाद जैसे नेता और फारूक अब्दुल्ला की गैर मौजूदगी में कांग्रेस महबूबा के साथ लेना चाह रही है।

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