नियुक्तियों में हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिए सीबीआई को अनुमति नहीं मिलने का मामला सामने आया है। भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस पर चल रही योगी सरकार में भ्रष्टाचार की सीबीआइ जांच के लिए एक एमएलसी को गुहार लगानी पड़ी। उन्होंने मुख्यमंत्री को संबोधित पत्र उनके प्रमुख सचिव को सौंपकर मामले की जानकारी दी। इसके बाद प्रशासनिक अमला हरकत में आया, लेकिन आदेश अभी भी जारी नहीं हो पाए हैं।
भाजपा एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर सीबीआइ जांच के लिए अनुमति देने की मांग की है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि सीबीआइ की तरफ से लोक सेवा आयोग के तहत अपर निजी सचिव भर्ती में हुई अनियमितता की सीबीआइ की जांच के लिए अनुमति नहीं मिल पा रही है। उन्होंने न सिर्फ सवाल उठाए हैं, बल्कि सीबीआइ को जांच की अनुमति और नोटिफिकेशन जारी करने की तत्काल मांग की है। एमएलसी ने लिखा है कि उनके संज्ञान में आया है कि सीबीआइ ने लोक सेवा आयोग के अपर निजी सचिव उत्तर प्रदेश सचिवालय 2010 की परीक्षा में जबरदस्त भ्रष्टाचार पाया है। मामले में परीक्षा परिणाम 2015 में और अंतिम परिणाम 2017 में घोषित किया गया। इसके लिए सीबीआइ भर्ती की जांच करना चाहती है। इस बारे में सीबीआइ ने 19 जून को तत्कालीन मुख्य सचिव को पत्र भी भेजा था। भ्रष्टाचार की दुरभिसंधि के कारण अधिकारी जांच का आदेश नहीं दे रहे हैं।
उन्होंने आउटलुक को बताया कि इतने गंभीर विषय को शासन के अफसर मुख्यमंत्री की जानकारी में नहीं दे रहे हैं। मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में मैंने एक पत्र प्रमुख सचिव, मुख्यमंत्री को दिया और सभी तथ्य बताया। उन्होंने प्रमुख सचिव गृह से बात की। प्रमुख सचिव ने बताया कि पत्र प्रमुख सचिव सचिवालय के पास है और वहां से आते ही नोटिफिकेशन जारी करा दिया जाएगा, लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ जो त्वरित स्पीड गति चाहिए, इसका अभाव है।