पूर्व केंद्रीय मंत्री आजाद ने कहा कि सिंधु जल संधि के मामले में भाजपा की सरकार को बहुत सोच-विचार के बाद फैसला लेना चाहिए और भविष्य को ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाक के प्रति कभी इतना नरम रवैया अपना लेते हैं कि वहां के प्रधानमंत्री को अपने शपथ ग्रहण समारोह में बुला लेते हैं। कभी उनके बर्थडे पर केक काटने पहुंच जाते हैं तो कभी उनकी नवासी की शादी में दूल्हा-दुल्हन को आशीर्वाद देने पहुंच जाते हैं। उन्होंने कहा, कभी-कभी वे इस सबके उलट ऐसा सख्त रवैया अपना लेते हैं जो किसी भी सरकार को नहीं अपनाना चाहिए। किसी भी अन्य देश के प्रति कोई निर्णय लेने के मामले में सरकार की सोच में ठहराव होना चाहिए। आजाद ने कहा कि असल में भाजपा की सरकार खुद नहीं तय कर पाई है कि पाकिस्तान के मामले में उसे क्या करना चाहिए। वह दुविधा की स्थिति में है। उन्होंने कहा कि विश्व बिरादरी के समक्ष दूत भेजकर अपना पक्ष रखने में केंद्र सरकार ने बहुत देर कर दी। अंतराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को बेनकाब करने की जरूरत है। आजाद कल रात कांग्रेस की देवरिया से दिल्ली यात्रा की अगुवाई करते हुए मथुरा पहुंचे थे।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाय, मोदी सरकार में विदेश सचिव दूसरे देश से द्विपक्षीय वार्ता की बात करते हैं, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार आगे बात न करने की सलाह देते हैं। कुछ पता ही नहीं पड़ता कि आखिर वे करना क्या चाहते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री को याद दिलाया, आपने हिंदुस्तान की आवाम को वादा किया था कि जो भारत की ओर आंख उठाकर देखेगा, उसकी आंखें निकाल ली जाएगी। एक के बदले दस-दस सिर काटकर लाएंगे। कहां हैं अब ये वादे, क्यों नहीं हो रही ऐसी कार्रवाई। सिंधु जल संधि पर उन्होंने कहा, ऐसे द्विपक्षीय मामलों पर दूरगामी सोच के तहत निर्णय लिए जाते हैं। लेकिन मोदी सरकार बरसों पुराने फैसलों को भी दो दिन में बदल देने में विश्वास रखती है। कांग्रेस नेता ने ताकीद की, जिन फैसलों का असर देश से जुड़ी कई नीतियों पर पड़ता है, उन पर यूं तत्काल निर्णय नहीं लिए जाते। आजाद ने कश्मीर की वर्तमान स्थिति पर तंज कसते हुए कहा कि हमारे वक्त में कश्मीर में शांति थी। लेकिन जब से पीडीपी-भाजपा की सरकार आई है, अशांति फैल गई है।