भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ पार्टी में हाशिये पर डाल दिए गए सिन्हा ने गोवा के डोना पाउला में आयोजित 'डिफिकल्ट डायलॉग' परिचर्चा में यह बयान दिया। सिन्हा ने कहा, निश्चित पर कोई संवाद नहीं होने की कोई गुंजाइश नहीं है। यह भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है। यहां-वहां भूल तो होंगी ही, चिंता मौजूदा हालात को लेकर है। लेकिन महान भारतीय समाज इसका ख्याल रखेगा और भारत में संवाद में यकीन नहीं रखने वालों को धूल चटा देगा। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त और विदेश मंत्री रह चुके सिन्हा ने मोदी का नाम लिए बगैर कहा, भारत के लोग उन्हें धूल चटा देंगे। आपको बस अगले चुनावों का इंतजार करना है।
कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर देने वाले 1977 के आम चुनावों का जिक्र करते हुए सिन्हा ने कहा कि संवाद की ऐसी अनदेखी से सरकार 19 महीने ही टिक सकेगी। गौरतलब है कि आपातकाल भी 19 महीने तक लागू रहा था। उन्होंने कहा कि हम सभी को पता है कि भारत के लोगों ने आपातकाल पर कैसी प्रतिक्रिया दी थी जो असहमति के स्वर को बनाए रखने के लिए हमारे देश में सबसे ताकतवर लोकतांत्रिक प्रयास था। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने भी इस सम्मेलन को संबोधित किया। समाज में संवाद रोक न दिया जाए, यह सुनिश्चित करने की जरूरत पर येचुरी के हस्तक्षेप पर सिन्हा ने कहा, मैं सिर्फ इतना कहूंगा कि अड़ंगा लगाने वाला गंभीर मुश्किल में है। वरिष्ठ भाजपा नेता ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि विपक्ष संसद को सुचारू रूप से चलने नहीं दे रहा। किसी का नाम लिए बगैर उन्होंने कांग्रेस के एक नेता पर निशाना साधा जिन्होंने संसदीय समिति की बैठकों में जीएसटी विधेयक पर कभी कोई चिंता जाहिर नहीं की, लेकिन बाद में ऐतराज जताने लगे। सिन्हा ने कहा कि वाजपेयी सरकार में विपक्ष के साथ संवाद की मदद से कई अहम विधेयक पारित कराए गए थे।
गौरतलब है कि यशवंत सिन्हा का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पटना साहिब से भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने शनिवार को बयान दिया कि वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे वरिष्ठ नेता उससे कहीं ज्यादा पाने के योग्य हैं जो उन्हें दिया गया है। शत्रुघ्न ने पुणे में कहा, अभी मैं और ये सभी नेता दमन और सम्मान के बीच फंसे हुए हैं।