इस समय देश भीषण बिजली संकट का सामना कर रहा है। यूपी समेत 13 राज्यों में बिजली की कटौती की जा रही है। विपक्ष की सरकारें कोयले के संकट का आरोप लगा रही हैं। लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि कोयले की कमी नहीं है। इन सबके बीच पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। चिदंबरम ने केंद्र पर तंज करते हुए कहा कि सरकार ने ‘सही समाधान’ ढूंढ़ लिया है, जो यात्री ट्रेन को रद्द करने और कोयला से लदी ट्रेन (मालगाड़ी) चलाने का है।
चिदंबरम ने ट्वीट किया, प्रचुर मात्रा में कोयला, बड़े रेल नेटवर्क, ताप संयंत्रों में अप्रयुक्त क्षमता। फिर भी, बिजली की भारी कमी है, मोदी सरकार को दोष नहीं दिया जा सकता है। यह कांग्रेस के 60 साल के शासन के कारण है! कोयला, रेलवे या बिजली मंत्रालयों में कोई अक्षमता नहीं है। दोष उक्त विभागों के पूर्व कांग्रेसी मंत्रियों का है! सरकार ने इसका सटीक समाधान खोजा है: यात्री ट्रेनों को रद्द करें और कोयले के रेक चलाएँ! मोदी है, मुमकिन है।
Abundant coal, large rail network, unutilised capacity in thermal plants. Yet, there is acute power shortage
Modi Government cannot be blamed. It is because of 60 years of Congress rule!
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) April 30, 2022
देश के कई राज्यों में उपजे बिजली संकट पर केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने शुक्रवार को कहा कि बिजली ताप संयंत्रों में 21.5 मिलियन टन कोयले का स्टॉक मौजूद है। कोयले को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। हम स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दादरी की 11 यूनिटों एवं ऊंचाहार बिजली संयंत्र अपनी पूरी क्षमता के साथ चल रहे हैं। यहां 2.3 लाख टन कोयले का भंडार है जिसे रोजाना भरा जा रहा है। जबकि कोयला कंपनियों के पास करीब 73 मिलियन टन कोयले का भंडार है। देश भर में 7 से 10 दिनों तक जो भी कोयला का भंडार है, उन सभी कारखानों को रोजाना भरा जा रहा है।
गौरतलब है कि लू (हीटवेव) जारी रहने के कारण देशभर में बिजली की मांग शुक्रवार को 207.11 गीगावॉट के सर्वकालिक उच्चतम स्तर को छू गई और रेलवे ने कोयला माल ढुलाई की सुविधा के लिए 42 यात्री ट्रेन को रद्द कर दिया। इसके अलावा दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (एसईसीआर) डिवीजन के साथ, जो कोयला उत्पादक क्षेत्रों तक जाता है, ने 34 ट्रेन को रद्द कर दिया।
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस नेताओं ने मौजूदा बिजली संकट के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि बिजली संयंत्रों को कोयला वितरण के लिए रसद सहायता प्रदान नहीं की जा रही है।