गुजरात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी, पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल, कांग्रेस विधायक दल के नेता शंकर सिंह वाघेला, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव मधुसूदन मिस्त्री की सदस्यता वाले गुजरात कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की और राज्य के राज्यपाल के जरिये मामले में दखल देने का अनुरोध किया। कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने दावा किया कि गुजरात में कानून-व्यवस्था की स्थिति चरमरा गई है। पार्टी ने राज्य की भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि दलितों, पाटीदारों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों पर हमले के बावजूद वह कुछ नहीं कर रही। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि समुदायों, खासकर दलितों, को ऐसे अत्याचारों का सामना करना पड़ रहा है जो अमानवीय और बर्बर हैं और ब्रिटिश शासन के दौरान भी ऐसे अत्याचार नहीं किए गए।
गुजरात कांग्रेस अद्यक्ष सोलंकी ने कहा, प्रधानमंत्री बलूचिस्तान के बारे में तो सोचते हैं, लेकिन उनके गृह राज्य में जब दलितों पर जुल्म ढाए जाते हैं, पाटीदारों, अल्पसंख्यकों और आदिवासियों को प्रताड़ित किया जाता है तो उन्हें पीड़ितों से मिलने का भी वक्त नहीं मिलता। सोलंकी ने कहा कि भाजपा ने अपना चेहरा बचाने की मंशा से गुजरात में मुख्यमंत्री बदला। उन्होंने दावा किया, राज्य सरकार कुछ नहीं कर रही। राज्य में कानून-व्यवस्था चरमरा गई है। सभी तबके थक चुके हैं और भाजपा सरकार अपना चेहरा बचाना चाह रही है। अपने ज्ञापन में प्रतिनिधिमंडल ने दावा किया कि राज्य में भाजपा के पिछले 13 साल के शासनकाल में दलितों पर अत्याचार के 14,613 से ज्यादा मामले आधिकारिक तौर पर सामने आए हैं।
कांग्रेस नेताओं ने मांग की कि उना में दलित युवकों की सरेआम की गई पिटाई की घटना के असल दोषी को गिरफ्तार कर 30 दिनों के भीतर आरोप-पत्र दाखिल किया जाए। पार्टी ने दलितों के खिलाफ हिंसा के 500 से ज्यादा लंबित मुकदमों की तेजी से सुनवाई के लिए विशेष अदालतें गठित करने और दलित उत्पीड़न से जुड़े सभी मामलों में विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति करने की मांग की। साल 2012 में थानगढ़ गोलीकांड में तीन दलित युवकों की पुलिस गोलीबारी में मौत की घटना का हवाला देते हुए कांग्रेस ने मांग की थी कि राज्य के सामाजिक न्याय अधिकार विभाग के सचिव की ओर से सौंपी गई जांच रिपोर्ट निश्चित तौर पर सार्वजनिक की जानी चाहिए। ज्ञापन मां कहा गया, कानून के मुताबिक, उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए थी जिन्होंने पुलिस थाने के बाहर हुई हिंसा पर कार्रवाई नहीं की थी। सोलंकी ने कहा कि थानगढ़ गोलीकांड उस वक्त हुआ था जब मोदी मुख्यमंत्री थे और उन्होंने दोषियों को जाने दिया। ज्ञापन में कहा गया कि गुजरात के 1589 गांवों में अब भी छुआछूत की कुरीति कायम है।