जब उनसे बार-बार पूछा गया कि वह जानकारी क्या है तब कांग्रेस उपाध्यक्ष ने दावा किया, हमारे पास प्रधानमंत्री के बारे में व्यक्तिगत भ्रष्टाचार की जानकारी है जिसे हम संसद में रखना चाहते हैं। लेकिन मुझे लोकसभा में बोलने नहीं दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री इस बात से घबराए हुए हैं कि अगर मुझे बोलने दिया गया तो मेरे पास ऐसी सूचनाएं हैं कि उनका गुब्बारा फट जाएगा।
राहुल गांधी के साथ तृणमूल कांग्रेस के संदीप बंदोपाध्याय, कल्याण बनर्जी, माकपा के पी करुणाकरण, राकांपा के तारिक अनवर, आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन, एआईयूडीएफ के बदरूद्दीन अजमल आदि मौजूद थे।
राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री का नोटबंदी का फैसला गरीबों पर आघात है। इसलिए प्रधानमंत्री की यह जवाबदेही है कि वे नोटबंदी के मुद्दे पर स्पष्टीकरण दें। वे देश के समक्ष स्पष्टीकरण दें। वे सदन में बोलें।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पॉप कंसर्ट में बोल रहे हैं, जनसभा में बोल रहे हैं लेकिन सदन में नहीं बोल रहे हैं। इतिहास में पहली बार सत्ता पक्ष के लोग चर्चा को रोक रहे हैं। आमतौर पर विपक्ष ऐसा करता रहा है और सत्ता पक्ष कामकाज चलाने का प्रयास करता है। प्रधानमंत्री बहाने बनाना छोड़कर सदन में आए और चर्चा हो।
राहुल गांधी ने कहा कि एक बार चर्चा हो जाएगी तो उसके बाद देश तय करेगा कि सत्ता पक्ष सच बोल रहा है या विपक्ष। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि वे एक सांसद है, जन प्रतिनिधि है और अमेठी की जनता ने चुनकर भेजा है और इस नाते वे सदन में अपनी बात रखना चाहते हैं। लेकिन मुझे रोका जा रहा है। सदन में बोलना हमारा अधिकार है।
उन्होंने कहा कि हम सब ने नियम के दायरे को छोड़कर चर्चा कराने पर सहमति व्यक्त की थी और स्पीकर से आग्रह किया था कि जितने घंटे चर्चा करानी हो चर्चा हो क्योंकि यह हम सब का राजनीतिक हक है। लेकिन चर्चा को रोका जा रहा है। राहुल गांधी ने कहा कि पिछले एक महीने से हम चर्चा कराने का प्रयास कर रहे हैं, हमने स्पीकर से आग्रह किया कि वे चर्चा कराएं। हम काफी हद तक बिना शर्त चर्चा कराने को उत्सुक रहे हैं। लेकिन सरकार चर्चा कराने को गंभीर नहीं है।
तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि सरकार की ओर से इतना दंभ क्यों दिखाया जा रहा है? इसके कारण पूरी संसदीय प्रणाली खतरे में पड़ गई है। केवल इस बात के लिए कि राहुल नहीं बोल पाए, इसलिए सत्तारूढ़ पार्टी सदन नहीं चलने दे रही है। ऐसा तब हो रहा है जब यह तय हुआ था कि सदन में चर्चा होगी।
उन्होंने कहा कि यह गलत है और सदन में चर्चा होनी चाहिए। यह प्रचार भी ठीक नहीं है कि राहुल के बोलने के बाद सदन नहीं चलने देंगे। बंदोपाध्याय ने कहा कि इसलिए 16 विपक्षी दल इस मुद्दे पर साथ आए हैं।
माकपा के पी करुणाकरण ने कहा कि पहली बार 16 राजनीतिक दल नोटबंदी के विरोध में एकसाथ आए हैं। प्रधानमंत्री चुनकर आए हैं, सांसद जनता के चुने प्रतिनिधि होते हैं। प्रधानमंत्री संसद में नहीं बोल रहे हैं। वे अन्य सभी स्थानों पर जाते हैं लेकिन सदन में नहीं बोल रहे हैं। चर्चा नहीं हो रही है।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी पर चर्चा में विपक्ष की ओर से राहुल पहले वक्ता थे लेकिन सदन चलने नहीं दिया जा रहा है। (एजेंसी)