अल्पसंख्यक कार्य मंत्री के पद से इस्तीफे के बाद भाजपा की राज्यसभा सांसद नजमा हेप्तुल्ला ने पार्टी नेतृत्व को संदेश भेजा है कि खुद को कहीं का राज्यपाल बनाए जाने के बावजूद वह अगले साल होने वाला उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ना चाहती हैं। राजनीतिक गलियारों में हेप्तुल्ला को राज्यपाल बनाए जाने की चर्चा है। आजाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की रिश्तेदार हेप्तुल्ला को 2007 में उपराष्ट्रपति के चुनाव में राजग ने अपना उम्मीदवार बनाया था। उस चुनाव में हामिद अंसारी से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। हामिद अंसारी को दूसरे कार्यकाल के लिए भी चुन लिया गया था जो कि 2017 में खत्म हो रहा है।
भाजपा के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हेप्तुल्ला ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को संकेत दिया है कि अगर राज्यपाल पद के लिए उन्हें कोई प्रस्ताव मिलता है तो वह उसे अस्वीकार नहीं करेंगी लेकिन अगले साल होने वाले उपराष्ट्रपति के चुनाव में जरूर लड़ेंगी। बताया जा रहा है कि हेप्तुल्ला ने भाजपा से कहा है कि 2007 में उनकी हार लगभग पूर्व निश्चित थी, लेकिन जिस प्रकार से उन्होंने वह हारी हुई जंग लड़ी उसको देखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को वादा करना पड़ा कि जब भी राजग के पास उपराष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवार को जिताने वाली संख्या होगी तो हेप्तुल्ला ही पसंद होंगी। परिवार से मिलने के लिए छुट्टी पर अमेरिका गईं हेप्तुल्ला ने वहां से लौटने के बाद 12 जुलाई को कैबिनेट से इस्तीफा दिया था। उनके इस्तीफे की चर्चा पिछले कई महीनों से चल रही थी। हालांकि 5 जुलाई को हुए कैबिनेट फेरबदल के बाद भी मंत्रियों की सूची में उनके नाम ने पार्टी के कई नेताओं सहित उनके सहयोगियों को भी आश्चर्य में डाल दिया था।